अतः हे अज्ञानी आर्यपुत्र! आज रविवार के दिन यदि आपने मुझे चलचित्र-दर्शन नहीं करवाया तो मैं रणचण्डी का रूप धारण कर लूँगी, मेरे क्रोध की ज्वाला प्रज्वलित हो जायेगी।
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रणचण्डी के रूप में वीका के लहू टपकते सिर को हाथ में लेकर दूसरे हाथ में नंगी तलवार लेकर उसने दुर्गपाल द्वारा दगा करने की सूचना चौहान कान्हड़देव को दी।
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घोड़े पर सवार, दाहिने हाथ में नंगी तलवार लिए, पीठ पर पुत्र को बाँधे हुए रानी ने रणचण्डी का रूप धारण कर लिया और शत्रु दल संहार करने लगीं।
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अतः हे अज्ञानी आर्यपुत्र! आज रविवार के दिन यदि आपने मुझे चलचित्र-दर्शन नहीं करवाया तो मैं रणचण्डी का रूप धारण कर लूँगी, मेरे क्रोध की ज्वाला प्रज्वलित हो जायेगी।
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मैं सौन्दर्य में रति, ज्ञान में सरस्वती, धन की लक्ष्मी तथा पोषण हेतु अन्नपूर्णा हूँ, जूझ जाऊँ तो रणचण्डी भी मैं ही हूँ! “ सोनाली सिंह ” हूँ मैं!
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अब इधर समान अधिकार पाने के मामले में पश्चिमी कोमलांगियाँ साक्षात रणचण्डी की प्रतिमूर्ती होती हैं-लिंग-भेद कानूनन अपराध है मगर जेंडर-प्रोफाईलिंग या लिंगाधारित विभेदन जोरदार होता है-विसंगतियाँ आह-और-वाह सी साथ साथ बहती हैं.
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” कहते-कहते तन आती हैं नसें, बहने लगते हैं लोर बेतरतीब और आंचल में मुंह छिपाकर विफरने लगती हैं वह नारी के धैर्य की टूटती सीमाओं के भीतर आकार ले रही रणचण्डी की तरह......।
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कहते-कहते तन आती हैं नसें, बहने लगते हैं लोर बेतरतीब और आंचल में मुंह छिपाकर विफरने लगती हैं वह नारी के धैर्य की टूटती सीमाओं के भीतर आकार ले रही रणचण्डी की तरह...... ।
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1824 में कित्तूर (कर्नाटक) की रानी चेनम्मा ने अंगेजों को मार भगाने के लिए 'फिरंगियों भारत छोड़ो' की ध्वनि गुंजित की थी और रणचण्डी का रूप धर कर अपने अदम्य साहस व फौलादी संकल्प की बदौलत अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये थे।
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1824 में कित्तूर (कर्नाटक) की रानी चेनम्मा ने अंगेजों को मार भगाने के लिए 'फिरंगियों भारत छोड़ो' की ध्वनि गुंजित की थी और रणचण्डी का रूप धर कर अपने अदम्य साहस व फौलादी संकल्प की बदौलत अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये थे।