पहले यह कहावत नेहरु परिवार की थी, पर अब तो कोई भी चुनाव हो चाहे वो लोकसभा, राज्यसभा, कॉरपोरेट या फिर पंचायत-सभी स्थान पर यदि पिता पहले से कोई भी राज्य पद पर हो तब तो टिकेट मिलना ही है.
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यदि दशमेश दशम भाव में स्वग्रही हुआ तो माता का सुख पाने वाला, ननिहाल से सुखी, पिता का भक्त, ऐसा जातक राजसुख पाने वाला, भाग्यशाली, देवगुरु, ब्राह्मणों की विधिपूर्वक सेवा करने वाला, राज्य पद, मान-सम्मान पाने वाला होता है।
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पहले यह कहावत नेहरु परिवार की थी, पर अब तो कोई भी चुनाव हो चाहे वो लोकसभा, राज्यसभा, कॉरपोरेट या फिर पंचायत – सभी स्थान पर यदि पिता पहले से कोई भी राज्य पद पर हो तब तो टिकेट मिलना ही है.एक ही घर में पिता,पुत्र[यदि दो [...]
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दूसरी बात यह भी है कि पद की अवधि पांच या छह साल होती है उसमें राज्य पद पर प्रतिष्ठित होने पर व्यक्ति की चिंतायें प्रजा हित से अधिक अपने चुनाव के लिये चंदा देने वालों का उधार चुकाने या फिर अगले चुनाव में फिर अपना पद बरबकरार रहने की होती है।