| 21. | दिन को प्रनाम किए राति चली जाति है [2]
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| 22. | हिन्दू राति रिवाज सरल, आसान तथा परिवर्तनशील हैं।
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| 23. | माई खेले लगली खरलीच बहिनी चारू पहर राति हे
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| 24. | हमनी के राति दिन दुःखवा भोगत बानी
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| 25. | माई खेले लगली खरलीच बहिनी चारू पहर राति हे
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| 26. | उन्हों ने कहा, ”हमार बचिया, राति राति भर पढ़ती है।
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| 27. | उन्हों ने कहा, ”हमार बचिया, राति राति भर पढ़ती है।
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| 28. | पतिनु राति चादर चुरी तैं राखो जयसाहि।।
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| 29. | लछमी के राति के घर में से नाहीं निकालेके।
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| 30. | हमहीं दिन औ हमहीं राति हमहीं तरवरकीट पतंगा ।
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