बाशिदों को ये नाम अजीब सा लगा, लफ्ज़ तो पहले से ही अपने मानवी एतबार से रायज था कि रहम दिल को रहमान कहा जाता था, इसे जब अल्लाह का दर्जा मिला तो मुखालिफ़त की बहसें होने लगीं.
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शायद बुज़ुर्गाने दीन के कलाम में अहम तरीन मायना यही है यह मअना तंज़ील के मुक़ाबिल में है यह वाज़ेह रहे कि क़ुरआने हकीम रायज किताबों की तरह मुनज़्ज़म व मुनसजिब नही है बल्कि मुख़्तलिफ़ वाक़ेयात व हवादिस की मुनासेबत से नाज़िल हुआ।
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मूसा और ईसा के प्रचलित किस्से दौर जहालत अंध विशवास के रूप में रायज थे जिसको चंट मुहम्मद ने रसूले-खुदा बन के सच साबित किया मगर बहर हाल झूट का अंजाम बुरा होता है जो आज दुन्या की एक बड़ी आबादी भुगत रही है.
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ऑल इण्डिया मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक ने तलाक के बारे में कहा कि कहा कि कुर्आन में ऐसा नहीं है कि जैसा रायज कर दिया गया है कि तीन बार सिर्फ कह देना तलाक है, यह ठीक नहीं।
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इतना ही नहीं कुरआन को पढ़ कर सवाब हासिल करने की ज़रुरत है, बनिस्बत समझने के. कुरआन के हफिज़े का दस्तूर मुसलमानों में रायज हो गया, लाखों लोग इस गैर तामीरी काम में लग कर क़ौम को जाम किए हुए हैं.
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अगर मां बाप का साया इन के सर पर इनकी उम्र पयंबरी तक कायम रहता तो यह उनको एक एक तीर पर कुर्बान न करते, जिनके पैरों तले बच्चों की जन्नत दबी हुई होती है उनकी शान में ऐसा मुहाविरा रायज न करते.
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उन् होंने उस फिरंगी डॉक् टर से कहा-' ' माँगो। ” उस फिरंगी ने कहा-'' हुजूर, मैं इस दवा को हिन् दुस् तान में रायज करना चाहता हूँ, इसलिए हुजूर, मुझे हिन् दुस् तान में तिजारत करने की इजाजत दे दें।
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मूसा और ईसा के प्रचलित, किस्से दौर जहालत में अंध विशवास के रूप में रायज, थे जिसको चंट मुहम्मद ने रसूले-खुदा बन के सच साबित किया मगर बहर हाल झूट का अंजाम बुरा होता है जो आज दुन्या की एक बड़ी आबादी भुगत रही है.
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इसमे कोई शक नही है कि कई शादियों में इँसाफ़ करने की शर्त हवस के ख़ात्मे और क़ानून की बरतरी की बेहतरीन अलामत है और इस तरह औरत के आदर और सम्मान की पूर्ण रुप से सुरक्षा हो सकती है लेकिन इस सिलसिले में यह बात नज़र अंदाज़ नही होनी चाहिये कि इंसाफ़ वह तसव्वुर बिल्कुल बे बुनियाद है जो हमारे समाज में रायज हो गया है और जिसके पेशे नज़र कई शादी करने को एक ना क़ाबिले अमल फ़ारमूला क़रार दे दिया गया है।
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मुसलामानों में रायज रुस्वाए ज़माना नाजेब्गी हलाला जिसको दर असल हरामा कहना मुनासिब होगा, वह तलाक़ दी हुई अपनी बीवी को दोबारा अपनाने का एक शर्म नाक तरीका है जिस के तहेत मत्लूका को किसी दूसरे मर्द के साथ निकाह करना होगा और उसके साथ हम बिस्तारी की शर्त लागू होगी फिर वह तलाक़ देगा, बाद इद्दत ख़त्म औरत का तिबारा निकाह अपने पहले शौहर के साथ होगा, तब जा कर दोनों इस्लामी दागे बे गैरती को ढोते हुए तमाम जिंदगी गुज़ारेंगे.