नव उदार आर्थिक चिंतक जोर देकर लोक कल्याण के नाम पर सरकारों द्वारा किए गए कामों को राष्ट्रीय धन का अपव्यय बताने लगे हैं।
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1970 से 2000 तक, जीवन प्रत्याशा में लाभ राष्ट्रीय धन के बारे में 3.2 खरब डॉलर प्रति वर्ष जोडी गयी, अध्ययन में पाया गया.
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राष्ट्रीय धन की जिस तरह से लूट मच रही है उस पर भी अगर अंकुश लगेगा तो उसका श्रेय भी न्यायपालिकाओं को ही जायेगा।
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इन सब के बावजूद राष्ट्रीय धन कोष का एक बहुत बड़ा हिस्सा १ ५ अगस्त और २ ६ जनवरी के सेलेब्रेशन में खर्च होता है.
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दूसरा, इस दिवस या पखवाड़ा का आयोजन, राष्ट्रीय धन के अपव्यय के रूप में या रूदन दिवस सा नहीं बल्कि उपलब्धि दिवस हो.
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बाबा ने कहा कि जिस दिन दुनिया के विभिन्न बैंकों में जमा कालाधन राष्ट्रीय धन घोषित होगा, देश की आर्थिक बदहाली अपने आप ही दूर हो जाएगी।
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पी चिदंबरम, कपिल सिब्बल, दिग्विजय सिंह और कई अन्य राजनेताओं को विदेशी धरती पर करने के लिए अपने राष्ट्र के सार्वजनिक धोखा और राष्ट्रीय धन लूट शिक्षा मिल गया.
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यही सब इस गद्दार नेतृत्व द्वारा विदेशों में जमा करवाए गए कालेधन को राष्ट्रीय धन घोषित करने की मांग उठाने वाले क्रांतिवीर स्वामीरामदेव जी के साथ भी किया जा रहा है।
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यही सब इस गद्दार नेतृत्व द्वारा विदेशों में जमा करवाए गए कालेधन को राष्ट्रीय धन घोषित करने की मांग उठाने वाले क्रांतिवीर स्वामीरामदेव जी के साथ भी किया जा रहा है।
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इसका गठन सन् 1955 में इस आधार पर किया गया था कि राष्ट्रीय धन की बचत की जा सके और सरकारी ठेके के कामों में जो देर और अंधेर होता है, उसे रोका जा सके।