रक्त ऐसे तो लाल ही होता है, काला-सफेद नहीं और सूक्ष्मदर्शक यंत्र द्वारा उसकी सूक्ष्म जांच की जाय अथवा रासायनिक प्रयोगशाला में पृथक्करण किया जाए, तो भी गोरे और नीग्रो के रक्त के बीच किसी भी प्रकार का अंतर सिद्ध होता ही नहीं।
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कुछेक अच्छे संस्थान हैं-क्षेत्रीय पादप संसाधन केंद्र, भुवनेश्वर, राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला, पुणे, राष्ट्रीय वनस्पतिक अनुसंधान संस्थान, लखनऊ, राष्ट्रीय पादप आनुवंशिकी संसाधन ब्यूरो, नई दिल्ली, रबड़ अनुसंधान संस्थान, केरल, गन्ना अनुसंधान संस्थान, कोयम्बत्तूर, केंद्रीय औषधि तथा सुगंधित पौधा संस्थान, लखनऊ आदि।
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ऐसा इसलिए क्योंकि देश के कई सर्वाधिक प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थान पुणे में ही स्थित हैं-राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (एनसीएल), केंद्रीय जल और विद्युत अनुसंधान स्टेशन (सीडब्ल्यूपीआरएस), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), गोखले संस्थान राजनीति और डेक्कन कॉलेज, दूसरे कई अन्य संस्थानों के साथ इसमें शामिल हैं.
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तो फिर यह बताना चाहिए कि आप आखिर आप हैं कौन? किसी रासायनिक प्रयोगशाला में काम करते हैं? मजिस्ट्रेट हैं या फिर ज्योतिषी? क्योंकि यही लोग यह अनुमान लगा सकते हैं, या किसी नतीजे पर पहुँचने की कोशिश कर सकते हैं कि किसके साथ क्या वारदात हुई? दुष्कर्म हुआ या नहीं इसकी जांच लैब में ही होती है.