काला बाज़ारी, टैक्स चोरी, रिश्वतख़ोरी, विदेशों में धन जमा करना, जुआ, शराब और फ़िज़ूलख़र्ची के चलते हालात और ज़्यादा ख़राब हो जाते हैं।
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छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के अधिवक्ता जीतेंद्र पाली का मानना है कि न्यायिक सेवा से जुड़े सभी पक्षों को अदालतों में रिश्वतख़ोरी के ख़िलाफ़ आगे आने की ज़रुरत है.
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इस संपत्ति कों प्राप्त करने के लिए अवैध तरीके अपनाए जाते हैं, मजबूर और जरूरत मंद लोगों की कमजोरी का फायदा उठाकर लोग रिश्वतख़ोरी में लिप्त होते हैं।
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भ्रष्टाचार के मामले पर किसी कंपनी के ख़िलाफ़ कारवाई बहुत मुश्किल थी क्योंकि उसमें ये साबित करना होता था कि रिश्वतख़ोरी में कंपनी के किसी बड़े अधिकारी का हाथ था.
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छीनछपटी, चोरी, डकैती, यौनअपराध, रिश्वतख़ोरी से लेकर आतंकवाद जैसे दानव इसीलिए मुंहबाए खड़े रहते हैं क्योंकि सबको पता है की इस देश में उन्हें कोई डर नहीं है
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जिसके जवाब में कांग्रेस का कहना है कि उसने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपने कई मंत्रियों और वरिष्ठ कार्यक्रताओं के ख़िलाफ़ कारवाई की है जबकि बीजेपी रिश्वतख़ोरी के मामले पर दोहरी नीति अपना रही है.
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मध्यवर्ग के लेखक जिनमें से कई ऊंचे सरकारी पदों पर बैठे हंै, ऊंची तनख्वाह पा रहे हैं और शराबख़ोरी तथा रिश्वतख़ोरी जैसी अनेक आदतों में लिप्त हैं, वे भी स्वयं को माक्र्सवादी, गरीबों के रहनुमा, दलितों के हितैषी सिद्ध करने की होड़ में ग्रामीण अंचलों पर आधारित अतिरंजित, अतिशयोक्ति पूर्ण कहानियां लिख रहे हैं।
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शादी ब्याह के मामले मेँ लड़की वालोँ का यह प्रश्न आम हुआ करता था कि लड़के को ‘ ऊपर की आमदनी ' होती है या नहीँ? वेतन कम होना कोई अवगुण नहीँ होता था, असली अवगुण होता था ‘ ऊपर की आमदनी ' न होना. समाज मेँ तथाकथित भ्रष्टाचार यानी रिश्वतख़ोरी का चलन कोई आज की बात नहीँ है.
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तमाम आलोचकों का यह मानना है कि रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार अथवा काले धन या हराम की कमाई को लेकर यह धर्मगुरु इसलिए सार्वजनिक रूप से अपने शिष्यों व भक्तों को कुछ नहीं कहते क्योंकि इनका अपना ' अध्यात्म कारोबार ' स्वयं ही इसी प्रकार की कमाई, ऐसी ही काली कमाई में से दिए जाने वाले दान तथा रिश्वतख़ोरी के पैसों से इन पर चढ़ाए जाने वाले चढ़ावे से चलता है।
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हकीकत जो भी हो परन्तु अपने आप में यह एक ज्वलंत, तार्किक एवं प्रासंगिक प्रश्र ज़रूर है कि ऐसे में जबकि पूरे देश में चारों ओर विभिन्न भाषाओं, धर्मों व विचारधाराओं के तथाकथित धर्मगुरु टेलीविज़न के माध्यम से अध्यात्म की आंधी चला रहे हों, ऐसे में हमारे देश में आिखर रिश्वतख़ोरी, भ्रष्टाचार, कालाबाज़ारी, अनैतिकता, अतिक्रमण, झूठ, वैमनस्य मक्कारी व मिलावटख़ोरी जैसी बुराईयों का बाज़ार क्यों गर्म है।