त्रिदेव बने स्त्रियाँ सुघुम्न की कथा रेवती नक्षत्र का आकाश से गिरना शुकदेव का जन्म स्वर्गारोहण हयग्रीव अवतार ऋषि रूरू की कथा शशिकला की कथा भक्त को वैभव कश्यप ऋषि को शाप अदिति को दिति का शाप भगवान-भक्त क युद्ध श्रीविष्णु को शाप शुक्राचार्य का विवाह
22.
हर चैपहले गुटिका पर निम्नलिखित रूप में खुदवाये जाते है प्रथम पटल पर ‘ रू ', प्रथम पटल के ठीक नीचे वाले पटल पर ‘ रूरू ', दूसरा पटल पर ‘ ∴ ', और दूसरे पटल के ठीक सामने ‘ ' खुदवाये या उकेरे जाते हैं।
23.
ख़रगोश का मांस चार माह तक, बकरी का मांस पाँच माह और सूअर का मांस छः माह तक, पक्षियों का मांस सात माह तक, ‘ प्रिष्टा ' नाम के हिरन के मांस से वे आठ माह तक और “ रूरू ” हिरन के मांस से वे नौ माह तक शांति में रहते हैं।
24.
ऊॅ काम रूपाय असितांगाय भैरवाय नमो ब्रम्हाण्डायै, ऊॅ स्कन्दाय नमः रूरू भैरवाय नमः, माहेश्वर्ये नमः ऊॅ चण्डाय नमः कौमार्यै नमः, क्रोधाये नमः, ऊॅ वैष्णव्यै नमः, अधोराय नमः ऊॅं उन्मन्त भैरवाय नमः ऊॅं वारा है नमः, साराय कपालिने भैरवाय नमः ऊॅ माहेन्द्रै नमः जालन्धराय नमः ऊॅ भीषण भैरवाय नमः, ऊॅ चामुण्डायै नमः, बटुक भैरवाय नमः, संहाराय नमः ऊॅ चण्डिकाय नमः मंत्रों से हवन पूजन तथा प्रसाद का भोग, पुष्प फल अशोक के पत्ते, गंगाजल से अध्र्य देना चाहिए।