गोरखाली लोग अपने साहस और हिम्मत के लिए विख्यात हैं और वे भारतीय आर्मी के गोरखा रेजिमेन्ट और ब्रिटिश आर्मी के गोरखा ब्रिगेज के लिए भी खुब जाने जाते हैं।
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सन् 1895 में चम्बा के पास मंज्यूड़ गाँव में जन्मे गब्बर सिंह सन् 1913 में गढ़वाल रेजिमेन्ट की 2 / 49 वीं बटालियन में राइफलमैन के रूप में भर्ती हुए थे।
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स्वतन्त्र भारत के सभी युद्धों में गढवाल राइफल व कुमाऊँ रेजिमेन्ट के वीर सिपाहियों ने अपने युद्ध कौशल व अदम्य साहस से कई महत्वपूर्ण मोर्चे फतह किये और भारी संख्या में शहादत दी.
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प्रतिवर्ष 8 गते वैशाख को उनकी स्मृति में यहाँ पर मेला लगता है और गढ़वाल रेजिमेन्ट सेंटर लैंसडॉन से आकर प्रति वर्ष वीर गब्बर सिंह के स्मारक पर उस दिन सलामी दी जाती है।
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हमने आयुष से कहा फ़ौज मे ही भर्ती हो जाओ, सुना हे कि एक नयी रेजिमेन्ट बन रही हे, नाम हे, “जनरल रेजिमेन्ट”, लडाई होने पर सबसे पहले इसी रेजिमेन्ट को ही भेजा जायेगा।
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हमने आयुष से कहा फ़ौज मे ही भर्ती हो जाओ, सुना हे कि एक नयी रेजिमेन्ट बन रही हे, नाम हे, “जनरल रेजिमेन्ट”, लडाई होने पर सबसे पहले इसी रेजिमेन्ट को ही भेजा जायेगा।
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महार रेजिमेन्ट जोकि भारतीय सेना की प्रतिष्ठित रेजिमेंन्टों में से एक है और रेड ईगल डिवीजन का एक संयुक्त पर्वतारोहण दल त्रिषूल पर्वत षिखर (7120 मीटर) का आरोहण करने जा रहा है ।
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महार रेजिमेन्ट जोकि भारतीय सेना की एक प्रतिष्ठित एवं उत्तम रेजिमेन्ट है और रेड ईगल डिविजन ने एक संयुक्त पर्वतारोहण दल, त्रिषूल पर्वत षिखर (7120 मीटर) पर विजय हासिल करने के लिये प्रारम्भ किया ।
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महार रेजिमेन्ट जोकि भारतीय सेना की एक प्रतिष्ठित एवं उत्तम रेजिमेन्ट है और रेड ईगल डिविजन ने एक संयुक्त पर्वतारोहण दल, त्रिषूल पर्वत षिखर (7120 मीटर) पर विजय हासिल करने के लिये प्रारम्भ किया ।