| 21. | रोमहर्षण के स्तुति पाठ तथा शास्त्रों-पुराणों में उनकी रुचियों को देख व्यास जी ने रोमहर्षण को अपना शिष्य बना लिया।
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| 22. | आजकल जो पुराण उपलब्ध हैं, उसमें कई में रोमहर्षण का संवाद मिलता है, कई में उग्रश्रवा का मिलता है।
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| 23. | इतिहास पुराणानां पिता मे रोमहर्षण: ।।'(सूतजी यानी उग्रश्रवा ने अपने पिता रोमहर्षक के लिए कहा था कि मेरे पिता 18 पुराणों के आचार्य थे।)
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| 24. | तीसरी बार नैमिषारण्यके द्वादशवर्षीय महासत्रके अवसर पर रोमहर्षण सूत के द्वारा इस पवित्र पुराण को सुनने का सैभाग्य अट्ठासी हजार ऋषियों को प्राप्त हुआ।
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| 25. | तीसरी बार नैमिषारण्यके द्वादशवर्षीय महासत्रके अवसर पर रोमहर्षण सूत के द्वारा इस पवित्र पुराण को सुनने का सैभाग्य अट्ठासी हजार ऋषियों को प्राप्त हुआ।
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| 26. | शौनक ने भी सूत जाति के रोमहर्षण से पुराण-कथा सुनने के लिए इन्हें व्यास गद्दी के ऊँचे मंच पर बैठाकर व्यास का पद दिया।
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| 27. | उसी आसन की मर्यादा तथा सम्मान के लिए रोमहर्षण आपके पधारने पर उठे नहीं और आपने इसे अपना अपमान समझकर उनका वध कर दिया।
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| 28. | तीसरी बार नैमिषारण्य के द्वादशवर्षीय महासत्र के अवसर पर रोमहर्षण सूत के द्वारा इस पवित्र पुराण को सुनने का सैभाग्य अट्ठासी हजार ऋषियों को प्राप्त हुआ।
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| 29. | व्यास जी की ऐसी बात सुनकर कुछ ऋषियों ने कहा, ‘‘ भगवन्! रोमहर्षण तो सूत जाति के हैं? उन्हें गद्दी पर कैसे बैठाया जा सकता है।
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| 30. | ब्राह्मणों ने स्वेच्छा से ही रोमहर्षण को वह उच्च स्थान प्रदान किया था तथा सत्र की समाप्ति तक के लिए उसे शारीरिक कष्ट रहित आयु भी प्रदान कर रखी थी।
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