कुछ समय बाद मुझे उनकी बैठकों का वृत्तान्त प्राप्त हुआ, उसमें यह उल्लेख था कि मेरे ललाट का आकार प्रकार वहां चर्चा का विषय रहा, और वहाँ मौजूद एक वक्ता ने तो यहाँ तक कहा कि मेरे जैसा उन्नत ललाट तो दस पादरियों को मिलाकर भी नहीं होगा।
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उदाहरणार्थ, खोपड़ी की मेरुदंड पर अग्रिम स्थिति (उसके खड़े होकर चलने का द्योतक), ललाट का गोलाकार होना, भौं-अस्थियों के भारी होते हुए भी उभार का न होना, जबड़े की आकृति, कृंतकों (incisors) का छोटा तथा कम नुकीला होना (यद्यपि रदनक लंबे थे), कूल्हे की इलियम (ilium) नामक अस्थि का चौड़ा होना तथा अन्य बहुत से गुणों में आस्ट्रैलोपिथीकस मनुष्य के इतने निकट था कि उसे मानव परिवार, “होमिनिडी”