लाजवर्त शनि की पीड़ा से बचाव करता है साथ ही राहु के विपरीत प्रभाव से भी सुरक्षा प्रदान करता है.
22.
व्यापार के विकास और भाग्य जगाने के लिए शुभ मुहूर्त में अष्टधातु की अंगूठी या लाॅकेट में लाजवर्त धारण करें।
23.
जिस जातक की कुंडली में शनि स्वग्रही या मित्र राशि अथवा उच्चराशि में हो तो वे लाजवर्त धारण कर सकते हैं।
24.
दीवाली को लाजवर्त नग को चांदी में जडवाकर लक्ष्मी के मंत्रों से अभिमंत्रित कर मध्यमा अंगुली में धारण करने से जातक धनवान बनता है।
25.
दीपावली के दिन लाजवर्त को चांदी में जड़वा कर लक्ष्मी के मंत्रों से अभिमंत्रित कर मध्यमा अंगुली में धारण करंे, धन की वृद्धि होगी।
26.
एक श्वेत संगमरमर की इमारत जिसमें महीन नक्काशीदार जाली की दीवार और सीप्पियों की चमकीली परतों पर खुदाईदार चित्र, नीले लाजवर्त और पुखराज जड़े हैं।
27.
नीलम, नीली, जमुनिया या लाजवर्त रत्न को अष्ट धातु या चांदी की अंगूठी में मध्यमा में धारण करने से जातक पर प्रभावी शनि दोष दूर होते हैं।
28.
मुख्य रूप से शनि की शांति के लिए अथवा शनिग्रह के लिए नीलम के विकल्प के रूप में पहना जाने वाला लाजवर्त मकर अथवा कुम्भ लग्न राशि के लोगों के लिए लाभदायक होता है।
29.
नीलम की सामर्थ्य न हो तो उपरत्न संग्लीली, लाजवर्त भी धारण कर सकते हैं | काले घोड़े कि नाल या नाव के नीचे के कील का छल्ला धारण करना भी शुभ रहता है |
30.
ग्रह रत्न उपरत्न सूर्य माणिक्य लालड़ी, सूर्यमणि ताम्रमणि जर्द चंद्रमा मोती चंद्रकांत मुक्ता शक्ति, निमरु, चंद्रमणि, गोदन्ती मंगल मूंगा विदु्रम, लाल अकीक बुध पन्ना बैरुज, मरगज, जबरजंद, पन्नी गुरु पुखराज सोनेला, घीया, केरु, सोनल शुक्र हीरा दांतला, विक्रांत, कांसला, उदाऊ, सिम्मा शनि नीलम जामुनिया, नीली, कटेला, लाजवर्त राहू, गोमेद तुरसावा केतु लहसुनिया श्योनाक्ष, व्याध्राक्ष, कर्कोटक, अले-क्जेण्ड्राइट रत्नों को धारण करने के अतिरिक्त इनका उपयोग रोगोपचार में भी किया जाता है।