लेकिन यह अन्दाज़ शायद ही आपने सुना हो कि शायर शेर लिखने का मूड लाने के लिए सुबह चार बजे उठकर बदन पर तेल की मालिश करता हो और फिर ताबड़तोड़ दंड पेलने के बाद लिखने की मेज पर बैठता हो।
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मेरी तरन्नुम और गीत-ग़ज़लों की धुनें बनाने के मेरे विशेष गुण के कारण एक बार उन्होंने रहमान भाई की मौजूदगी में अपनी लिखने की मेज के पीछे से एक बिना ज़िल्द की किताब निकाल कर कोई ग़ज़ल गुनगुनाने को कहा ।