सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा (2) में ही स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सभी लोक अधिकारी लगातार सूचनाओं को विभिन्न माध्यमों से जनता तक पहुंचाते रहेंगे।
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(4) वह किसी भी लोक प्राधिकरण के खिलाफ शिकायत स्वीकार करने के लिए उतरादायी होगा और शिकायत प्राप्त होने के अधिकतम दो दिन के भीतर सम्बन्धित लोक अधिकारी के पास उसे स्थानान्तरित करेगा.
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(4) वह किसी भी लोक प्राधिकरण के खिलाफ शिकायत स्वीकार करने के लिए उतरादायी होगा और शिकायत प्राप्त होने के अधिकतम दो दिन के भीतर सम्बन्धित लोक अधिकारी के पास उसे स्थानान्तरित करेगा.
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इसी क्रम में पुलिस ने चार मई की रात क्रांतिकारी लोक अधिकारी संगठन के नामजद कार्यकर्ता पवित्र मंडल की अनुपस्थिति में उनके द्घर एवं ससुराल पर छापा मारा और वहां उपस्थित महिलाओं के साथ अभद्रता की।
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(4) वह किसी भी लोक प्राधिकरण के खिलाफ शिकायत स्वीकार करने के लिए उतरादायी होगा और शिकायत प्राप्त होने के अधिकतम दो दिन के भीतर सम्बन्धित लोक अधिकारी के पास उसे स्थानान्तरित करेगा.
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और लोक अधिकारी की दशा में उसे परिदत्त किए जाने या उसके कार्यालय में छोड़े जाने पश्चात, दो मास का अवसान न हो गया हो, और वादपत्र में यह कथन अन्तर्विष्ट होगा कि ऐसी सूचना ऐसे परिदत्त कर दी गई है या छोड़ दी गई है।
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जबकि इसी अधिनियम की धारा 4 (1)(ख)(10) में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि प्रत्येक लोक अधिकारी इस अधिनियम के अधिनियमन से एक सौ बीस दिन के भीतर अपने प्रत्येक अधिकारी ओर कर्मचारी द्वारा प्राप्त मासिक पारिश्रमिक जिसके अंतर्गत प्रतिकर की प्रणाली भी है प्रकाशित करेगा ओर तत्पश्चात इन प्रकाशनों को प्रति वर्ष अद्यतन भी करेगा.
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सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा (2) में ही स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्रत्येक लोक अधिकारी निरतंर और स्वप्रेरणा से, सूचना के विभिन्न साधनो के माध्यम से, लोगों को इतनी अधिक सूचना उपलब्ध कराने का प्रयास करे कि जनता को सूचना प्राप्त करने के लिए इस अधिनियम का कम से कम सहारा लेना पड़े।
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प्रत्येक विस्तृत शक्ति जिसके प्रयोग के दूरगामी परिणाम हों प्रयोजन की सीमाएं हैं | विवेकाधिकार के प्रयोग का उद्देश्यपूर्ण होना चाहिए | लोक अधिकारी को शक्ति के मद के बजाय कर्तव्य के प्रति सावधान रहना चाहिए | इसके कृत्य और निर्णय जो आम आदमी से सम्बन्ध रखते हों, औचित्य और न्याय की कसौटी पर खरे उतरने चाहिए |
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जबकि इसी अधिनियम की धारा 4 (1) (ख) (10) में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि प्रत्येक लोक अधिकारी इस अधिनियम के अधिनियमन से एक सौ बीस दिन के भीतर अपने प्रत्येक अधिकारी ओर कर्मचारी द्वारा प्राप्त मासिक पारिश्रमिक जिसके अंतर्गत प्रतिकर की प्रणाली भी है प्रकाशित करेगा ओर तत्पश्चात इन प्रकाशनों को प्रति वर्ष अद्यतन भी करेगा.