मैंने पढ़ा कि उल्लू कि आंख खाने से आँख कि रोशनी तेज होती है पर मैंने ये भी सुना है कि खाने से आदमियों का दिमाग भी उल्लूओ सरीखा हो जाता है........ पर सच क्या है मै तो नहीं कह सकता हूँ पर हिंसा का तरीका अपनाकर अपना हित करना उचित नहीं है और वन्य जीव सरंक्षण योगना को ठेंगा बताना ही हुआ..
22.
राजकुमार महोबिया (लेखक उमरिया, मध्यप्रदेश के निवासी है, पेशे से अध्यापक, शौक चित्रकारी, पर्यावरण सरंक्षण, अपने क्षेत्र में नारों की पेन्टिंग कर जल सरंक्षण के महत्व को बतलाने में सफ़ल भूमिका, वन्य जीव सरंक्षण के मसलों में जन-जागरूकता अभियानों की अगुवाई, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेखन, इनसे दूरभाष द्वारा 0 9893870190 पर संपर्क किया जा सकता हैं)