इनके उपन्यासों के प्रेरणास्रोत 19वीं शताब्दी के विक्टोरियन उपन्यास रहे हैं जिनमें एक सहज यथार्थवाद और सीधी सादी वर्णनात्मकता होती है।
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इस रचना में वर्णनात्मकता इसके असर को कम कर देती ; अतः लेखिका ने स्वयं को रचना से बाहर रखा है।
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सहज और सरल शैली में छोटे-छोटे विचारशील भाव उनकी वर्णनात्मकता के अभिन्न अंग हैं जो पाठक पर जाने-अनजाने अप्रकट सा प्रभाव छोड़ते हैं.
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गद्य अपनी वर्णनात्मकता एवं विश्लेषणात्मकता के साथ पाठक तक जाता है लेकिन कविता में पाठक को रचनाकार के भाव जगत तक पहुंचना पड़ता है।
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सहज और सरल शैली में छोटे-छोटे विचारशील भाव उनकी वर्णनात्मकता के अभिन्न अंग हैं जो पाठक पर जाने-अनजाने अप्रकट सा प्रभाव छोड़ते हैं.
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वैसे यह वर्णनात्मकता उन कृतियों में भी पाई जाती है जिनके लेखक यथार्थ कामहाकाव्यात्मक चित्रण प्रस्तुत करने के इच्छुक थे; जैसे ' गोदान', 'झूठ-सच', 'मैलाआंचल' 'रागदरबारी' आदि.
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इनमें वर्णनात्मकता अधिक होने के कारण भावभूमि लम्बी बन पड़ी है. + इतिहास अपनी प्रक्रिया में तेजी से बदल रहा है, जीवन में भीड़-भाड़ औरनिर्वैयइतकता की प्रधानता हो रही है.
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वर्णनात्मकता और आत्मकथात्मकता को गड्डयमड्ड किया गया है ' लेखक प्रारम्भ के दो पृष्ठों में राकेश-दोहा की कहानी कहता है और फिर ‘ मैं ' कहानी कहने लगता है।
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प्रेम तत्व की व्याख्या, उसकी विभिन्न मदिर अनुभूतियों का काव्यात्मक आस्वाद से जो अंकन यहां हुआ है उसकी आत्मा खण्ड काव्य की वर्णनात्मकता में अपना प्रवेश नहीं पा सकती।
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इस क्षेत्र में कुछ लेखकों ने अवश्य ही सराहनीय काम किया, पर अधिकांश की वर्णनात्मकता के बोझ से दबी रचनाएं, पाठकों पर अपेक्षित प्रभाव नहीं छोड़ पातीं.