अगर पराग उसी फूल के वर्तिकाग्र पर पड़े तो इसे स्वपरागण (Self-pollination) कहते हैं और अगर अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र पर पड़े तो इसे परपरागण (Cross-pollination) कहेंगे।
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[9] बीजाण्ड एक प्रक्रिया जिसे परागण कहते हैं, द्वारा निषेचित होता है, इस प्रक्रिया मे पराग कण पुष्पों के पुंकेसर से वर्तिकाग्र को संचारित होते हैं।
23.
जब ये फूल का रस लेने आते हैं, तो इनके पंखों आदि से पराग कोष से पराग गण वर्तिकाग्र (stigma-अंडाशय का प्रवेश द्वार) पर गिरते हैं ।
24.
फिर दौड़कर वह वर्तिकाग्र पर पहुँचता है और शृंगिका में दबाई हुई परागकण की गोली में से कुछ परागकण वर्तिकाग्र पर रखकर अपनी टाँगों द्वारा जितना हो सकता है भीतर दबा देता है।
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फिर दौड़कर वह वर्तिकाग्र पर पहुँचता है और शृंगिका में दबाई हुई परागकण की गोली में से कुछ परागकण वर्तिकाग्र पर रखकर अपनी टाँगों द्वारा जितना हो सकता है भीतर दबा देता है।
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फिर दौड़कर वह वर्तिकाग्र पर पहुँचता है और शृंगिका में दबाई हुई परागकण की गोली में से कुछ परागकण वर्तिकाग्र पर रखकर अपनी टाँगों द्वारा जितना हो सकता है भीतर दबा देता है।
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फिर दौड़कर वह वर्तिकाग्र पर पहुँचता है और शृंगिका में दबाई हुई परागकण की गोली में से कुछ परागकण वर्तिकाग्र पर रखकर अपनी टाँगों द्वारा जितना हो सकता है भीतर दबा देता है।
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वर्तिकाग्र पर पुंकेसर आकर चिपक जाता है, वर्तिका से नर युग्मक की परागनलिका बढ़ती हुई अंडाशय में पहुँच जाती है, जहाँ नर और स्त्री युग्मक मिल जाते हैं और धीरे धीरे भ्रूण (embryo) बनता है।
29.
एक खेतिहर मजदूर ने बांस [13] की एक धारदार छिपटी द्वारा परागकोश तथा वर्तिकाग्र को अलग करने वाली झिल्ली को हटाया और इसके बाद अंगूठे के प्रयोग द्वारा मकरंद को परागकोश से वर्तिकाग्र पर स्थानांतरित कर दिया.
30.
एक खेतिहर मजदूर ने बांस [13] की एक धारदार छिपटी द्वारा परागकोश तथा वर्तिकाग्र को अलग करने वाली झिल्ली को हटाया और इसके बाद अंगूठे के प्रयोग द्वारा मकरंद को परागकोश से वर्तिकाग्र पर स्थानांतरित कर दिया.