पाता हूँ निज को खोह के भीतर, विलुब्ध नेत्रों से देखता हूँ द्युतियाँ, मणि तेजस्क्रिय हाथों में लेकर विभोर आँखों से देखता हूँ उनको-पाता हूँ अकस्मात् दीप्ति में वलयित रत्न वे नहीं हैं अनुभव, वेदना, विवेक-निष्कर्ष, मेरे ही अपने यहाँ पड़े हुए हैं विचारों की रक्तिम अग्नि के मणि वे प्राण-जल-प्रपात में घुलते हैं प्रतिपल अकेले में किरणों की गीली है हलचल गीली है हलचल!!
22.
पृथ्वी की कक्षा के बाहर लाल ग्रह मंगल (Mars), नील ग्रह बृहस्पति (Jupiter), वलयित शनि (Saturn), उरण (Uranus), वरूण (Neptune), हर्षल (Herschell) तथा यम (Pluto) उससे क्रमश: ४४ ६, १, ५ ८८, २, ८ ० ४, ५, ६ ४ १, ८, ८ ३ ९, १ ०, ००० (?) तथा १ २, ४ ६ २ मीटर दूरी पर होंगे।