अधिचर्म, वल्कुट और रंभ क्षेत्र में ऊतकों के अंतर की उत्तरोत्तर अवस्थाएँ सुस्पष्ट रहती हैं।
22.
वल्कुट (cortex) तथा मूलीय त्वचा (epiblema) बाहर की तरफ रहते हैं।
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अधिचर्म, वल्कुट और रंभ क्षेत्र में ऊतकों के अंतर की उत्तरोत्तर अवस्थाएँ सुस्पष्ट रहती हैं।
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जब जड़ों की अत्यधिक मोटाई वल्कुट को विदीर्ण कर देती है, तब वल्कुट की आंतरिक सतह परिरंभ (
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जब जड़ों की अत्यधिक मोटाई वल्कुट को विदीर्ण कर देती है, तब वल्कुट की आंतरिक सतह परिरंभ (
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स्तंभ में भी बहिर्त्वचा (epidermis), वल्कुट (cortex) तथा संवहन (vascular) सिलिंडर होते हैं।
27.
रंभ की सतह पर पार्श्वीय जड़े विभज्योतकी (mesistematis) कोशिकाओं से निकलकर वल्कुट से बाहर निकलने का मार्ग बलपूर्वक बनाती हैं।
28.
शरीर (anatomy) की दृष्टि में मूल के तीन भाग है: अधिचर्म (epidermis), वल्कुट (cortex) तथा रंभ।
29.
पोरी का अनुप्रस्थ काट केन्द्र से बाहर की ओर निम्नलिखित ऊतक प्रदर्शित करता है: बाह्यत्वचा, वल्कुट या छिलका और अंत: स्थापित संवहनी बंडलों से युक्त भरण ऊतक।
30.
जब जड़ों की अत्यधिक मोटाई वल्कुट को विदीर्ण कर देती है, तब वल्कुट की आंतरिक सतह परिरंभ (pericycle) या द्वितीयक फ्लाएम में कार्क (cork) बनती है।