हमारी अर्थव्यवस्था में बहुत सारी वस्तुओं का मूल्य निर्धारण परोक्ष रूप से पेट्रोल-डीजल की कीमत से जुड़ा है ।
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निर्लोभता के आते ही वस्तुओं का मूल्य घट जाता है और फिर वस्तुओं की दासता शेष नहीं रहती ।
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सवाल उठता है कि वस्तुओं का मूल्य तो बाज़ार तय कर देता है, लेकिन इंसान का मूल्य कैसे तय हो?
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प्राथमिक वस्तुओं का मूल्य सूचकांक थोक मूल्य सूचकांक में 20. 12 प्रतिशत रहा और यह पूर्व सप्ताह के दौरान 0.4 प्रतिशत घट गया।
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इनके द्वारा उत्पादित या निर्मित वस्तुओं का मूल्य उपभोक्ता तक पहुंचने तक लागत मूल्य से डयोढ़े (डेढ़ गुना) से अधिक नहीं रहता।
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(4) प्रतिदिन के उपयोग मंे आने वाली उपभोक्ता वस्तुओं का मूल्य निर्धारण सरकार द्वारा किया जाये, जिससे महगाई पर अंकुश लग सके।
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उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय के थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित ताजा आंकड़ों के मुताबिक प्राथमिक वस्तुओं का मूल्य सूचकांक भी 0. 9 फीसदी ऊपर पहुंच गया है।
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बाजार में आम उपभोक की वस्तुओं का मूल्य सूचकांक निंरतर बढ़ रहा है तब शेयक बाजार के सूचकांक का गिरना किसी को भी रहस्यमय लग सकता है।
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यह थ्योरी आज अगर आंतर्राष्ट्रीय बाजार से मुनाफा कमा रही है तो कल उसी अंतर्राष्ट्रीय बाजार के मुताबिक न्यूनतम जरुरत की वस्तुओं का मूल्य भी निर्धारित करेंगी।
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बहन जी ने विलासिता की वस्तुओं का मूल्य बढ़ाने पर जोर देते हुए संकेत दिया कि बसपा अभी केंद्र से सीधा मोर्चा लेने के मूड में नहीं है।