निष्कर्ष वाद बिन्दु संख्या-3-यह वाद बिन्दु क्या वादीगण द्वारा वाद का मूल्यांकन उचित प्रकार से नहीं किया गया है एवं उनके द्वारा न्याय शुल्क अपर्याप्त अदा किया गया है?
22.
वादीगण द्वारा वाद का मूल्यांकन किन खेतों के संबंध में किया गया है, स्पष्ट नहीं है, कोर्ट फीस कम अदा की गयी है, चाहा गया अनुतोष स्पष्ट नहीं हैं।
23.
जिसके पालन में वादी द्वारा वाद का मूल्यांकन मुआवजे की राशि 50, 000/-रूपये पर कर निर्धारित न्याय शुल्क 5800/-रूपये प्रस्तुत किया गया हैं जो कि उचित एवं पर्याप्त हैं।
24.
अतः याची ने वाद का मूल्यांकन कर वर्तमान याचिका दिनॉक 13. 8.09 को प्रस्तुत किया एवं न्यायालय से अनुतोश चाहा है कि उभय पक्ष के मध्य हुये विवाह का विघटन कर दिया जाय।
25.
वाद का मूल्यांकन कम किए जाने व वाद की नीयत यानि अपने को मालिक घोषित किए जाने की दादर्शी प्राप्ति हेतु वादी ने वाद में उचित कोर्ट फीस अदा नहीं की है।
26.
अतः याची ने वाद का मूल्यांकन कर वर्तमान याचिका दिनॉक 13. 07.09 को प्रस्तुत किया है एवं न्यायालय से अनुतोश चाहा है कि उभय पक्ष के मध्य हुये विवाह का विघटन कर दिया जाय।
27.
वाद का मूल्यांकन सालाना लगान के आधार पर किया गया है और वाद का कारण दिनांक 15-4-2003 को उत्पन्न हुआ, जब प्रतिवादी द्वारा वादी की भूमि पर जबरन कब्जा करने की कोशिश की गयी।
28.
क्या उभय पक्ष के मध्य दिनांक 20-05-2006 को किस अनुतोष, यदि कोई हो, को वादी प्राप्त करने क्या वादी द्वारा वाद का मूल्यांकन कम किया गया विवादित सम्पत्ति के सम्बन्ध में कोई मौखिक समझौता हुआ था?
29.
याची ने वाद का मूल्यांकन कर एवं न्यायलीय षुल्क अदा कर वर्तमान याचिका दिनॉक 5. 6.03 को प्रस्तुत करते हुये उभय पक्ष के मध्य विवाह विच्छेद की डिक्री प्रदान करने के लिये न्यायालय से अनुतोश चाहा है।
30.
विवादित भूमि के भूमिधर वादीगण है और कुछ ही दूरी पर दूसरे गांव में रहते हैं व खेती करते हैं तथा प्रतिवादीगण का विवादित भूमि पर कोई हित निहित नहीं हैं, नियमानुसार वाद का मूल्यांकन किया गया है।