समुद्री धाराओं का गतिविज्ञान ओर ऊष्मागतिकी, बड़े पैमाने पर बहनेवाली समुद्री और वायुवाहित धाराओं के सिद्धांत तथा गहरे जल का परिसंचरण, इन सबकी समस्याएँ वायुमंडल की संगत समस्याओं से मिलती जुलती है।
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वायुवाहित चुंबकत्वमापी का क्षेत्र सूक्ष्मग्राही तत्व धातु, या अन्य उच्च चुंबकशीलता (permeability) वाले पदार्थ, का छड़ जैसा समुच्चय होता है, जिसपर उपयुक्त कुंडली लिपटी होती है और यह परस्पर लंब जिंबलों (gimbals) पर चढ़ा होता है।
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यद्यपि परिहार लक्षणों को कम करने में सहायता कर सकता है और जीवन घातक तीव्रग्राहिता को रोक सकता है पर इस पर सफल होना उनके लिए कठिन है जो पराग या इसी तरह के वायुवाहित प्रत्यूर्जताओं वाले हैं।
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वायुवाहित चुंबकत्वमापी का क्षेत्र सूक्ष्मग्राही तत्व धातु, या अन्य उच्च चुंबकशीलता (permeability) वाले पदार्थ, का छड़ जैसा समुच्चय होता है, जिसपर उपयुक्त कुंडली लिपटी होती है और यह परस्पर लंब जिंबलों (gimbals) पर चढ़ा होता है।
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को इस तरह से परिभाषित किया गया है कि “कोई भी वायुवाहित वस्तु जो प्रदर्शन से, वायुगतिकीय विशेषताओं या असामान्य सुविधाओं से युक्त हो, जो वर्तमान में किसी भी ज्ञात विमान या मिसाइल के प्रकार के अनुरूप नहीं है या एक परिचित वस्तु के रूप में जिसकी सकारात्मक पहचान नहीं की जा सकती है।
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1953 और 1954 में जारी किए गए वायु सेना 200-2 विनियमन, में एक अज्ञात उड़न तश्तरी (UFOB) को इस तरह से परिभाषित किया गया है कि “कोई भी वायुवाहित वस्तु जो प्रदर्शन से, वायुगतिकीय विशेषताओं या असामान्य सुविधाओं से युक्त हो, जो वर्तमान में किसी भी ज्ञात विमान या मिसाइल के प्रकार के अनुरूप नहीं है या एक परिचित वस्तु के रूप में जिसकी सकारात्मक पहचान नहीं की जा सकती है.”