| 21. | रूप्यं शुक्तौ फणी रज्जौ वारि सूर्यकरे यथा।
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| 22. | ए रे बीर पौन! तेरो सबै ओर गौन, वारि
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| 23. | इसी से इनका नाम पड़ा फुङ् (अलाव), वारि (कहानी)।
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| 24. | वारि बना है वृ से जो अनेकार्थक धातु है।
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| 25. | ऊख वारि पय मूल, पुनि औषधहू खायके।
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| 26. | तन मन धन वारि वारि कहत मृदु बचनियां..
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| 27. | तन मन धन वारि वारि कहत मृदु बचनियां..
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| 28. | मेरा चोर जो मोहिं मिले सरवस डारूँ वारि ॥५॥
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| 29. | इबेन्पोक्की वारि का अर्थ है, दादी की कहानियाँ।
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| 30. | संत-हंस-गुण गहहीं पय, परिहरि वारि विकार।।
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