प्राचीन चीनी वैज्ञानिक शेन कुओ (1031-1095) पहले व्यक्ति थे जिन्होंने चुंबकीय सुई दिक्सूचक के बारे में लिखा और यह कि वास्तविक उत्तर की खगोलीय अवधारणा को लागू करते हुए मार्गनिर्देशन की सटीकता को उसने सुधारा (ड्रीम पूल एसेज़, ईस्वी सन् 1088), और ऐसा ज्ञात होता है कि 12 वीं सदी तक चीनी द्वारा मार्गनिर्देशन के लिए चुंबक-पत्थर दिक्सूचक का उपयोग किया जाने लगा था.
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[4] प्राचीन चीनी वैज्ञानिक शेन कुओ (1031-1095) पहले व्यक्ति थे जिन्होंने चुंबकीय सुई दिक्सूचक के बारे में लिखा और यह कि वास्तविक उत्तर की खगोलीय अवधारणा को लागू करते हुए मार्गनिर्देशन की सटीकता को उसने सुधारा (ड्रीम पूल एसेज़, ईस्वी सन् 1088), और ऐसा ज्ञात होता है कि 12 वीं सदी तक चीनी द्वारा मार्गनिर्देशन के लिए चुंबक-पत्थर दिक्सूचक का उपयोग किया जाने लगा था.
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[4] प्राचीन चीनी वैज्ञानिक शेन कुओ (1031-1095) पहले व्यक्ति थे जिन्होंने चुंबकीय सुई दिक्सूचक के बारे में लिखा और यह कि वास्तविक उत्तर की खगोलीय अवधारणा को लागू करते हुए मार्गनिर्देशन की सटीकता को उसने सुधारा (ड्रीम पूल एसेज़, ईस्वी सन् 1088), और ऐसा ज्ञात होता है कि 12 वीं सदी तक चीनी द्वारा मार्गनिर्देशन के लिए चुंबक-पत्थर दिक्सूचक का उपयोग किया जाने लगा था.
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लेकिन ऐसा नहीं किया गया) 44.नर्मदा और ताप्ती के अतिरिक्त मध्यप्रदेश की नदियां ए-अरब सागर में जाती हैं बी-बंगाल की खाड़ी में जाती हैं सी-हिंद महासागर में मिलती हैं डी-दूसरी नदियों में मिल जाती हैं पीएससी का उत्तर (बी) वास्तविक उत्तर (डी) प्रमाण: (मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी द्वारा प्रकाशित एवं लेखक आनंद कुमार पांडेय एवं श्रीमती अर्चना पांडेय द्वारा लिखित सामान्य अध्ययन में साफ उल्लेख है कि नर्मदा और ताप्ती नदियां अरब सागर में जाकर मिलती हैं, जबकि अन्य नदियां दूसरी नदियों में मिल जाती हैं।