| 21. | उस के नाम इन्तकाल खुलने पर ही आप के नाम विक्रय पत्र पंजीकृत हो सकेगा।
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| 22. | अपीलार्थी / वादी को जितनी भूमि विक्रय पत्र से बेची गयी है, उतनी भूमि उसके पास है।
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| 23. | प्रत्यर्थी / प्रतिवादी संख्या-2,3,4 को गुमराह करते हुए कोई अन्य नम्बर बताकर विक्रय पत्र किया गया है।
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| 24. | यानि वादी विक्रय पत्र की दिनांक से प्रष्नगत सम्पत्ति का मालिक काबिज चला आता है।
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| 25. | विक्रय पत्र के अनुसार दोनों खसरा नम्बरान से मिली हुई चौहदी एक बतायी गयी है।
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| 26. | विक्रय पत्र में कौन से साबिक खसरा नम्बर में से कितनी भूमि बेची गयी है?
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| 27. | विक्रय पत्र में यह बात भी अंकित है कि श्री अतर सिंह नेगी अधिवक्ता हैं।
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| 28. | महावीर जाट ने गिरवीनामें पर हस्ताक्षर करवाने की बात कहकर हमसे विक्रय पत्र हस्ताक्षर करवा लिये।
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| 29. | विक्रय पत्र के अनुसार कोई कब्जा कभी भी वादी को प्राप्त होना प्रतीत नहीं होता है।
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| 30. | उप पंजीयक के यहाँ पंजीकृत विक्रय पत्र / बैनामा किसी भी स्थाई संपत्ति के स्वामित्व का मूल प्रमाण है।
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