विजातीय पदार्थ चिपका न होने के कारण इसकी काट अच्छी तरह से हो जाती है और रत्न बनाने में सुविधा रहती है।
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इससे विजातीय पदार्थ शरीर से बाहर निकलेंगे और चयापचय प्रक्रिया (मेटाबोलिस्म) तेज होकर ज्यादा केलोरी का दहन होगा,और शरीर की चर्बी कम होगी।
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ज्यादा पानी पीने से शरीर से विजातीय पदार्थ बाहर निकलते रहेंगे और रोगी को कब्ज नहीं रहेगी जो इस रोग का मूल कारण है।
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ज्यादा पानी पीने से शरीर से विजातीय पदार्थ बाहर निकलते रहेंगे और रोगी को कब्ज नहीं रहेगी जो इस रोग का मूल कारण है।
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इसका प्रयोग रोगाणुनाशक के रूप में और विजातीय पदार्थ को शरीर से बाहर निकालने में होता है, जो एलर्जी का कारण बनते हैं।
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इससे विजातीय पदार्थ शरीर से बाहर निकलेंगे और चयापचय प्रक्रिया (मेटाबोलिस्म) तेज होकर ज्यादा केलोरी का दहन होगा, और शरीर की चर्बी कम होगी।
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केवल खानपान की गलतियों से ही विजातीय पदार्थ हमारे शरीर में एकत्रित नहीं होते हैं बल्कि विजातीय पदार्थ विभिन्न रास्तों से भी शरीर में प्रवेश करता है जो निम्न हैं।
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केवल खानपान की गलतियों से ही विजातीय पदार्थ हमारे शरीर में एकत्रित नहीं होते हैं बल्कि विजातीय पदार्थ विभिन्न रास्तों से भी शरीर में प्रवेश करता है जो निम्न हैं।
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1. जब हम सांस लेते हैं तब सांस के द्वारा धूल में उड़ने वाले छोटे-छोटे कीटाणु, धुंआ, धूल के कण तथा अन्य विजातीय पदार्थ शरीर में चले जाते हैं।
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गद का अर्थ रोग तथा विष होता है अर्थात् कोई भी विजातीय पदार्थ जो शरीर के बाह्य या आभ्यांतरिक संपर्क में आने पर शरीर को हानि पहुँचाता है उसे गद या विष कहते हैं।