ʹनेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कॉरपोरेशनʹ के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित युवा वैज्ञानिक एवं फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. राहुल कत्याल अपने कमजोर विद्यार्थी-जीवन को याद कर कहते हैं कि ʹʹपूज्य बापू जी से प्राप्त सारस्वत्य मंत्रदीक्षा प्रतिभा-विकास की संजीवनी बूटी है।
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निम्न-मध्यवर्गीय ब्राह्मण परिवार में जन्म, अभावग्रस्त सुविधावंचित विद्यार्थी-जीवन, पारिवारिक जिम्मेदारियाँ, यश-सम्मान के साथ-साथ काशी-निष्कासन भी. काशी से शांतिनिकेतन, शांतिनिकेतन से काशी, काशी से चंडीगढ़, चंढ़ीगढ़ से फिर काशी और काशी से फिर लखनऊ.
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विद्यार्थी-जीवन याद आने लगा. याद आया वह बरसाती नाला, जिसके किनारे जाम-बाड़ी के नाम से हम सबका जाना-पहचाना अमरुद का बगीचा था, जहां हर साल कार्तिक-अगहन से लेकर पौष-माघ तक जाड़े के मौसम में मीठे-स्वादिष्ट अमरुदों की मीठी महक हम सबको अनायास अपनी ओर खींच लिया करती थी.
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अपने विद्यार्थी-जीवन में, मैंने ‘ स्काईर्लाक ‘ नाम की दो अंग्रेजी कवितायें पढ़ी थी, एक ‘ वर्डस्र्वथ ‘ की ‘ स्काईलार्क ‘ नामक चिड़िया आसमान में उड़ती थी परन्तु ज़मीन की खबर भी रखती थी परन्तु ‘ शेली की ‘ स्काइर्लाक ‘ की उड़ान बहुत ऊँची थी, धरातल से उसका कोई नाता न था।
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अपने विद्यार्थी-जीवन में मैंने चाहा था कि ' अलंकारों और छंद पर फिर से शोध हो अथवा इस सम्बन्ध के नवीनतम विचारों को अवसर दिया जाय ' लेकिन हिन्दी के लेक्चर्स और प्रोफेसर्स ने यह कहकर मेरी इच्छाओं पर विराम लगाया कि यह युग ' नई कविता ' ' नई कहानी ' ' समकालीन कविता और समकालीन कहानी ' का है.