याची संख्या-3 आदित्य उर्फ षुभम तथा याची संख्या-4 कुमारी सानिया, मृतक की अवयस्क सन्तानें हैं, याची संख्या-1 श्रीमती गुलाबी देवी, मृतक की विधवा माता है जबकि याची संख्या-2 श्रीमती वीरा देवी उर्फ वृहस्पति देवी मृतक की पत्नी है अतः प्रतिकर की कुल धनराषि मे से 50ए000ध्. मृतक की माताश्रीमती गुलाबी देवी संख्या-3 आदित्य उर्फ षुभम, को, 1ए50ए000ध्. 1ए00ए000ध्. याची याची संख्या-4 कुमारी सानिया को तथा षेश धनराषि मय ब्याज मृतक की पत्नी याची संख्या-2 श्रीमती वीरा देवी उर्फ वृहस्पति देवी को दिलाया जाना उचित होगा।
22.
साँझ के समय जब मन को सँभालना मुश्किल होता तब जिद करके विनय आनंदमई को घर के कामों से हटाकर अपने कमरे के सामने बरामदे में चटाई बिछाकर बिठा लेता और उनसे उनके बचपन की और उनके मायके की बातें सुना करता-जब उनका विवाह नहीं हुआ था और जब वह अपने अध् यापक पितामह के टोल (विद्यालय) के छात्रों की लाडली थीं, जब सब लोग पितृहीना बालिका को हर बात में इतना सिर चढ़ाए रखते थे कि उनकी विधवा माता को बड़ी चिंता सताती रहती थी।