धारा 219 भारतीय दण्ड संहिता में यह प्रावधान हैं कि जो लोक सेवक न्यायिक कार्यवाही के किसी भी स्तर पर कोई रिपोर्ट, आदेश, अधिमत या निर्णय जो विधि के प्रतिकूल होना वह जानता हो विद्धेषपूर्ण देगा तो इस धारा के तहत दण्डनीय अपराध होगा।
22.
विपक्षी दि ओरियन्टल इन्श्योरेंस कम्पनी लि0 की ओर से जवाबदावा कागज संख्या-15ख / 1 लगायत 15ख/2 प्रस्तुत करते हुये इस याचिका के अधिकांश अभिकथनों को अस्वीकार करते हुये अतिरिक्त कथन किया है कि प्रार्थिनी द्वारा क्षतिपूर्ति प्रार्थना पत्र गलत तथ्यों पर एवं विधि के प्रतिकूल है।
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अपीलार्थी / अभियुक्त देव सिंह द्वारा यह अपील इस आधार पर प्रस्तुत की गयी है कि, विद्वान मुख्य न्यायिक मजिस्टैªट द्वारा पारित निर्णय एवं दण्डादेश पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य एवं विधि के प्रतिकूल है तथा अवर न्यायालय ने पात्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य को मनमाने ढंग से परिभाषित किया है।
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विपक्षी संख्या-1 दि न्यू इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी की ओर से जबावदावा कागज संख्या 29-ख प्रस्तुत करते हुये प्रार्थना पत्र के कथनों को अस्वीकार किया गया है तथा अतिरिक्त कथन किया है कि प्रार्थी द्वारा क्षतिपूर्ति प्रार्थना पत्र गलत तथ्यों पर एवं विधि के प्रतिकूल है उसे यह प्रार्थना पत्र बीमा कम्पनी के विरूद्ध पेश करने का कोई हेतुक पैदा नहीं होता है।
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लेख उच्च न्यायालय की अधीकरण शक्ति के अंतर्गत इस हेतु निकाला जाता है कि नीचे के न्यायालय, न्यायाधिकरण, शासन या उसके अधिकारीगण अपने क्षेत्राधिकार के बाहर काम न करें या सार्वजनिक प्रयोजन के लिए दिए हुए क्षेत्राधिकार का प्रयोग करना अस्वीकार न करें, अथवा उनके निर्णय प्रत्यक्ष रूप से देश की विधि के प्रतिकूल न होने पावें तथा वे अपना कर्तव्यपालन उचित रीति से करें।
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लेख उच्च न्यायालय की अधीकरण शक्ति के अंतर्गत इस हेतु निकाला जाता है कि नीचे के न्यायालय, न्यायाधिकरण, शासन या उसके अधिकारीगण अपने क्षेत्राधिकार के बाहर काम न करें या सार्वजनिक प्रयोजन के लिए दिए हुए क्षेत्राधिकार का प्रयोग करना अस्वीकार न करें, अथवा उनके निर्णय प्रत्यक्ष रूप से देश की विधि के प्रतिकूल न होने पावें तथा वे अपना कर्तव्यपालन उचित रीति से करें।
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लखनऊ, 12 अगस्त 2013, आल इण्डि़या पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) से सम्बद्ध आदिवासी वनवासी महासभा के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 (2007) के अनुपालन में उ 0 प्र 0 शासन व जिला प्रशासन द्वारा विधि के प्रतिकूल अपनाई गयी प्रक्रिया के विरूद्ध जनहित याचिका सं.
28.
महत्वपूर्ण यह हैं कि दिनांक 28. 4.2006 को परिवादी प्रार्थी अभियुक्त नंदकिशोर ने धारा 340 दण्ड प्रक्रिया संहिता का आवेदन इस न्यायालय में प्रस्तुत कर यह प्रार्थना की हैं कि उसने दिनांक 12.4.2006 को जो प्रार्थना पत्र पेश किया था तथा उसका जो प्रत्युत्तर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ए सी बी द्वारा न्यायालय में पेश किया गया हैं वह झूठा, गलत, बदयान्तिपूर्ण व विधि के प्रतिकूल दिया गया हैं।