जब तक हिंदी भाषा राष्ट्रीय संपर्क की भाषा नहीं बनती, जब तक हिंदी शिक्षा का माध्यम एवं शोध और विज्ञान की भाषा नहीं बनती और जब तक हिंदी शासन, प्रशासन, विधि नियम और न्यायालयों की भाषा नहीं बनती, भारत के आँगन में नवान्न का उत्सव कैसे होगा, हिंदी का तुलसीदल कैसे पल्लवित होगा?
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भ्रामक विज्ञापन देने और मिलावट युक्त सामग्री बेचने पर दस लाख रूपये का जुर्मानाहै इस तरह से कई मामलों में म्रत्यु दंड तक का प्रावधान है अब इस कानून को लागू करने के बाद भी विधि नियम के अनुसार देश और राज्यों में इसकी क्रियान्विति के लियें समितियों और आयुक्तों का गठन नहीं करना यही दर्शाता है के सरकार व्यापारियों के आगे नत मस्तक है और जनता को मिलावट युक्त भ्रामक विज्ञापनों के माध्यम से बेचे जाने वाले सामानों से होने वाले नुकसान के प्रति सरकार गम्भीर नहीं है....... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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कर्मणो ह्यपि बोद्धव्यं बोद्धव्यं न विकर्मण:, अकर्मणश्च बोद्धव्यं गहना कर्मणो गति: | ” (४ / १ ७)-कर्म की गति गहन है | “ करमन की गति न्यारी | ” कर्म, अकर्म और विकर्म का परिपाक करके ही विचार करना चाहिये | याज्ञवल्क्य तथा अन्य स्मृतिकारों ने तो मानवता के पतन का करण ही यह बताया है कि यदि मनुष्य विधि नियम रूप से प्रतिपादित कर्मों का त्याग तथा निषिद्ध कर्मों की उपादेयता अर्थात इन्द्रियों को अनुशासित सीमा के अतिरिक्त प्रवाहित होने देगा तो मानवता का पतन निश्चित है “