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विधि शास्त्र उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
21.श्री पटेल इस बात का ध्यान रखते हैं कि जानकारी का एक ऐसा स्त्रोत बने जो विधि शास्त्र अध्ययन के अभिलाषी एवं विधि शास्त्र के छात्र, सभी की सेवा कर पाए ।

22.श्री पटेल इस बात का ध्यान रखते हैं कि जानकारी का एक ऐसा स्त्रोत बने जो विधि शास्त्र अध्ययन के अभिलाषी एवं विधि शास्त्र के छात्र, सभी की सेवा कर पाए ।

23.समाज सेवा: यदि आप अपनी विधि शास्त्र विद्या को एक बेहतर कल के लिए बदलाव लाने के लिए प्रयुक्त करना चाहते हैं तो यह आपके लिए सबसे अच्छा कार्य है ।

24.अमरीका के जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के विधि शास्त्र के सेवामुक्त प्रोफ़ेसर नॉर्मन बर्नबॉम ने 18 दिसंबर 2011 को स्पेन के समाचार पत्र एलपाएस में प्रकाशित अपने एक लेख में यह विचार व्यक्त किया है।

25.विधि शास्त्र की किताब बन्द कर यदि राजनीति शास्त्र और समाजशास्त्र की किताब खोले तो धोखा खाने वालों की संख्या इतनी अधिक हो जावेगी कि यदि एक किस्से की दो लाइनें भी लिखी जायें तो एक महाग्रन्थ तैयार हो सकता हैं।

26.विधि शास्त्र की किताब बन्द कर यदि राजनीति शास्त्र और समाजशास्त्र की किताब खोले तो धोखा खाने वालों की संख्या इतनी अधिक हो जावेगी कि यदि एक किस्से की दो लाइनें भी लिखी जायें तो एक महाग्रन्थ तैयार हो सकता हैं।

27.अब जरूरत इस बात की है कि भारतीय संस्कृति और मूल्यों को परिमार्जित करके फिर से परिभाषित किया जाय क्योंकि पाश्चात्य संस्कृति के समागम से हमारे मूल्यों का ह्रास हो चुका है और हमारे विधि शास्त्र को भी नवीन स्वरूप की आवश्यकता आन पड़ी है.

28.उन्होंने प्रश्न किया, “ आचार्य जी ने क्या शास्त्रों की अवहेलना कर जिस-तिस को गायत्री दीक्षा नहीं दी? क्या आप इसे उचित मानते हैं? ” इस पर संत श्री का कहना था कि शास्त्र विधि शास्त्र के अनुशीलन से निर्धारित होती है।

29.उनकी पत्नी ने अपने संस्मरण में इस विषय में लिखा है, “वह अच्छे विद्यार्थी नहीं थे और गणित सीखने में उन्हें बहुत कठिनाई होती थी…।” उन्होंने कज़ान विश्वविद्यालय के प्राच्य विद्या विभाग में प्रवेश लिया, किन्तु एक वर्ष पश्चात् ही वह पढ़ाई छोड़कर उन्होनें विधि शास्त्र विभाग में प्रवेश ले लिया था।

30.जिस समाज और व्यवस्था में हर गतिविधि, चाहे वह आर्थिक हो, वैज्ञानिक हो, राजनीतिक हो, सांस्कृतिक हो या सामाजिक हो, का प्रेरक तत्व मुनाफा और निजी लाभ हो, वह समाज और व्यवस्था संकट का शिकार अवश्यम्भावी तौर पर होगी और यह संकट उस समाज और व्यवस्था के रहते विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, विधि शास्त्र और ज्ञान की हर शाखा में अभिव्यक्त होगा।

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