बपतिस्मा को ईसा के प्रति व्यक्ति के मत से अलग नहीं किया जा सकता क्योंकि स्वयं ईसा का बपतिस्मा हुआ था और बपतिस्मा में निमज्जन के द्वारा उनका विमोचक कार्य ईसा में एक नये संबंध के रूप में चित्रित किया जाता है, जिसका आनंद सभी विश्वासकर्ता उठाते हैं.
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जहाँ प्रसादी तुलसी माला फूल से पवित्र और स्नायी स्त्री पुरुषों के अंग के विविध चंदन, कस्तूरी, अतर इत्यादि सुगंधित द्रव्य के मादक आमोद संयुक्त परम शीतलकण तापत्राय विमोचक गंगाजी के स्पर्श मात्रा से अनेक लौकिक अलौकिक ताप से तापित मनुष्यों का चित सर्वदा शीतल करते हैं।
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मेरी कृतियां पुस्तका कार रूप में कितनी छप चुकी हैं, इसकी सही जानकारी मुझे भी नही, लेकिन इतना अवश्य बता सकता हूँ कि प्रायः प्रत्येक वर्ष बसंत पंचमी को मैं अपनी एक पुस्तक का विमोचन स्वयं के कर कमलों से करता हूं ।”“यानी आप अपनी पुस्तकों के स्वयं कवि, प्रकाशक, विमोचक कैसे हो सकते हैं?”“हां, बिल्कुल ।”“एक ही व्यक्ति कवि, आलोचक, प्रकाशक और विमोचक कैसे हो सकता है?”“अरे आप चौंके क्यों? क्या कोई साहित्यकार अपनी रचनाओं का प्रकाशक, आलोचक, विमोचक नहीं हो सकता? हो सकता है जनाब, बिल्कुल हो सकता है ।
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मेरी कृतियां पुस्तका कार रूप में कितनी छप चुकी हैं, इसकी सही जानकारी मुझे भी नही, लेकिन इतना अवश्य बता सकता हूँ कि प्रायः प्रत्येक वर्ष बसंत पंचमी को मैं अपनी एक पुस्तक का विमोचन स्वयं के कर कमलों से करता हूं ।”“यानी आप अपनी पुस्तकों के स्वयं कवि, प्रकाशक, विमोचक कैसे हो सकते हैं?”“हां, बिल्कुल ।”“एक ही व्यक्ति कवि, आलोचक, प्रकाशक और विमोचक कैसे हो सकता है?”“अरे आप चौंके क्यों? क्या कोई साहित्यकार अपनी रचनाओं का प्रकाशक, आलोचक, विमोचक नहीं हो सकता? हो सकता है जनाब, बिल्कुल हो सकता है ।
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मेरी कृतियां पुस्तका कार रूप में कितनी छप चुकी हैं, इसकी सही जानकारी मुझे भी नही, लेकिन इतना अवश्य बता सकता हूँ कि प्रायः प्रत्येक वर्ष बसंत पंचमी को मैं अपनी एक पुस्तक का विमोचन स्वयं के कर कमलों से करता हूं ।”“यानी आप अपनी पुस्तकों के स्वयं कवि, प्रकाशक, विमोचक कैसे हो सकते हैं?”“हां, बिल्कुल ।”“एक ही व्यक्ति कवि, आलोचक, प्रकाशक और विमोचक कैसे हो सकता है?”“अरे आप चौंके क्यों? क्या कोई साहित्यकार अपनी रचनाओं का प्रकाशक, आलोचक, विमोचक नहीं हो सकता? हो सकता है जनाब, बिल्कुल हो सकता है ।