कोई नहीं समझा पा रहा है कि जब ग्रामीण क्षेत्र में पंचायती राज की व्यवस्था संविधान में की गई है तो नगर निगम की ग्रामीण क्षेत्र में घुसपैठ कैसे हो गई? यह भी कोई बताने को तैयार नहीं कि जब दिल्ली भूमि सुधार अधिनियम जनता को यह अधिकार देता है कि उसके तीन साल पुराने निर्माण कार्य को नहीं तोड़ा जा सकता तो उस अधिकार को दिल्ली नगर निगम की संविधान विरोधी धारा 507 को लागू करके कैसे छीना जा सकता है।