यहीं का यह आदर्श वाक्य है-वादे वादे जायते तत्वबोधः-मतलब विवाद से ही (ज्ञान की) समझ विकसित होती है! अनुरोध: अगर उचित समझें तो शीर्षक में विवादप्रिय या विवादी कर दें बहसी देखकर मेरी ऑंखें सहसा झपक गयीं-वहशी तो नहीं लिख दिया?:)
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एक दिन विवाद विषय पर चल रही संगोष्ठी में हमने कह दिया कि ‘न तो यह कला है और न ही विज्ञान ये तो व्यक्ति के दिमागी फितूर है और यह एक मानसिक बीमारी है जिस का समय पर इलाज करवाया जाना चाहिए ' हमारे इतना बोलते ही विवादप्रिय लोगों ने हो हल्ला मचा दिया।
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पहले हाँ से शुरु करते हैं वह इसलिये कि मुझे ही क्या शायद किसीको भी दंभ नहीं सुहाता वह इसलिये कि यहाँ साँस रोके रोके दम घुटने को हैं वह इसलिये कि हम विवादप्रिय ब्लागिंग के रहनुमा नहीं हैं वह इसलिये कि यह स्वतंत्र ब्लागिंग है, पराधीन लेखन नहीं वह इसलिये कि अन्य बहुत से कारण हैं, जो अकारण बताये नहीं जाते और..
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पहले हाँ से शुरु करते हैं वह इसलिये कि मुझे ही क्या शायद किसीको भी दंभ नहीं सुहाता वह इसलिये कि यहाँ साँस रोके रोके दम घुटने को हैं वह इसलिये कि हम विवादप्रिय ब्लागिंग के रहनुमा नहीं हैं वह इसलिये कि यह स्वतंत्र ब्लागिंग है, पराधीन लेखन नहीं वह इसलिये कि अन्य बहुत से कारण हैं, जो अकारण बताये नहीं जाते और..
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पहले हाँ से शुरु करते हैं वह इसलिये कि मुझे ही क्या शायद किसीको भी दंभ नहीं सुहाता वह इसलिये कि यहाँ साँस रोके रोके दम घुटने को हैं वह इसलिये कि हम विवादप्रिय ब्लागिंग के रहनुमा नहीं हैं वह इसलिये कि यह स्वतंत्र ब्लागिंग है, पराधीन लेखन नहीं वह इसलिये कि अन्य बहुत से कारण हैं, जो अकारण बताये नहीं जाते और..