आदेष याची श्रीमती बिजना देवी की याचिका प्रत्यर्थी जीतपाल सिह के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से सव्यय स्वीकार की जाती है एवं विवाह विच्छेद की डिक्री द्वारा नई टिहरी, दिनॉक 18.10.2010 याची एवं प्रत्यर्थी के मध्य हुये विवाह का विघटन किया जाता है।
22.
आदेष याची षिव सिह की याचिका प्रत्यर्थी श्रीमती सुलोचना देवी के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से सव्यय स्वीकार की जाती है एवं विवाह विच्छेद की डिक्री द्वारा नई टिहरी, दिनॉक 21.8.2010 याची एवं प्रत्यर्थी के मध्य हुये विवाह का विघटन किया जाता है।
23.
आदेष याची विजेन्द्र सिह की याचिका प्रत्यर्थी संख्या-1 श्रीमती सीमा के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से सव्यय स्वीकार की जाती है एवं विवाह विच्छेद की डिक्री द्वारा नई टिहरी, दिनॉक 08.10.2010 याची एवं प्रत्यर्थी संख्या-1 के मध्य हुये विवाह का विघटन किया जाता है।
24.
वर्तमान याचिका प्रस्तुत करने मे पक्षकारो की कोई मिली भगत नही है अतः याची ने याचिका का मूल्यांकन कर वर्तमान याचिका दिनॉक 12. 2.09 को प्रस्तुत किया एवं न्यायालय से अनुतोश चाहा है कि उभय पक्ष के मध्य हुये विवाह का विघटन कर दिया जाय।
25.
मामले की परिस्थितियो के प्रकाष मे यह उचित पाया जाता है कि आदेष याची श्री बलबीर सिह की याचिका प्रत्यर्थी श्रीमती निर्मला देवी के विरूद्ध स्वीकार की जाती है एवं विवाह विच्छेद की डिक्री द्वारा याची एवं प्रत्यर्थी के मध्य हुए विवाह का विघटन किया जाता है।
26.
व्यवहार किया जाना एक पक्षीय रूप से साबित पाया जाता है अतः आदेष याची कुषाल सिह की याचिका प्रत्यर्थी श्रीमती सोना देवी के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से सव्यय स्वीकार की जाती है एवं विवाह विच्छेद की डिक्री द्वारा नई टिहरी, दिनॉक 09.9.2010 याची एवं प्रत्यर्थी के मध्य हुये विवाह का विघटन किया जाता है।
27.
याची तथा प्रत्यर्थी का विवाह विच्छेद हेतु आपस मे मिली भगत नही है अतः याची ने वाद का मूल्याकंन कर वर्तमान याचिका दिनॉक 28. 4.05 को प्रस्तुत किया है एवं न्यायालय से अनुतोश चाहा है कि उभय पक्ष के मध्य हुये विवाह का विघटन कर दिया जाय तथा याची को प्रत्यर्थी से वाद खर्च एवं रूपये दस 10,000/दिलाया जाय।
28.
प्रत्यर्थी से याची की कोई सन्तान नही है और इस याचिका को प्रस्तुत करने मे उनकी आपस मे कोई मिली भगत नही है प्रत्यर्थी याची से गर्भवती नही है अतः याची ने वाद का मूल्यांकन कर वर्तमान याचिका दिनॉक-25. 6.09 को प्रस्तुत किया है एवं न्यायालय से अनुतोश चाहा है कि उभय पक्ष के मध्य हुये विवाह का विघटन कर दिया जाय।
29.
आदेष याची श्रीमती कविता की याचिका प्रत्यर्थी आलोक सिह के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से सव्यय स्वीकार की जाती है एवं विवाह विच्छेद की डिक्री द्वारा याची एवं प्रत्यर्थी के मध्य हुये विवाह का विघटन किया जाता है तथा प्रत्यर्थी को आदेषित किया जाता है कि याचिका 5ख के प्रस्तर-2 मे उल्लिखित याची के सामानो को याची को वापस करे अथवा उक्त सामानो के मूल्यों के सापेक्ष धनराषि याची को अदा करे।
30.
आदेष याची श्रीमती सुमन की याचिका प्रत्यर्थी परवेष कुमार के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से सव्यय स्वीकार की जाती है एवं विवाह विच्छेद की डिक्री द्वारा याची एवं प्रत्यर्थी के मध्य हुये विवाह का विघटन किया जाता है तथा प्रत्यर्थी को आदेषित किया जाता है कि वह याचिका के प्रस्तर-4 मे वर्णित सामानो, जिनकी रसीदो को याची द्वारा प्रस्तुत किया गया है, को अथवा उसके सापेक्ष धनराषि 1,76,874/-याची को अदा करे।