इसी तरह अल्लाह के इन विशेष्ताओं और गुनों को वैसे ही माना जाऐ जिस तरह अल्लाह ने उसको अपने लिए बताया है या अल्लाह के नबी (अलैहिस्सलातु वस्सलाम) ने उस विशेष्ता के बारे में खबर दिया है और उन विशेष्ताओं और गुनों को न माना जाऐ जिस विशेष्ता का इन्कार अल्लाह ने अपने से किया है या अल्लाह के नबी (अलैहिस्सलातु वस्सलाम) ने उस विशेष्ता का इन्कार किया है ।
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इसी तरह अल्लाह के इन विशेष्ताओं और गुनों को वैसे ही माना जाऐ जिस तरह अल्लाह ने उसको अपने लिए बताया है या अल्लाह के नबी (अलैहिस्सलातु वस्सलाम) ने उस विशेष्ता के बारे में खबर दिया है और उन विशेष्ताओं और गुनों को न माना जाऐ जिस विशेष्ता का इन्कार अल्लाह ने अपने से किया है या अल्लाह के नबी (अलैहिस्सलातु वस्सलाम) ने उस विशेष्ता का इन्कार किया है ।
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इसी तरह अल्लाह के इन विशेष्ताओं और गुनों को वैसे ही माना जाऐ जिस तरह अल्लाह ने उसको अपने लिए बताया है या अल्लाह के नबी (अलैहिस्सलातु वस्सलाम) ने उस विशेष्ता के बारे में खबर दिया है और उन विशेष्ताओं और गुनों को न माना जाऐ जिस विशेष्ता का इन्कार अल्लाह ने अपने से किया है या अल्लाह के नबी (अलैहिस्सलातु वस्सलाम) ने उस विशेष्ता का इन्कार किया है ।
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न ही उस सिफात के अर्थ को बदला जाए और न ही उसके अर्थ का इनकार किया जाए और न ही उस सिफात की कैफियत बयान किया जाए और न ही दुसरे किसी वस्तु से उसकी उदाहरण दी जाए, बल्कि यह कहा जाए कि अल्लाह तआला सुनता है, देखता है, जानता है, शक्ति शाली है जैसा कि इस के शान के योग्य है, वह अपनी विशेष्ता में सम्पूर्ण है।
25.
अनस बिन मालिक (रज़ियल्लाहु अन्हु) वर्णित करते हैं कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया, ” जिस व्यक्ति के अन्दर यह तीन विशेष्ता हों,उसने ईमान की मिठास को पालियाः अल्लाह और उस के रसूल सब से ज़्यादा उस के पास प्रियतम हों और वह किसी मानव से केवल अल्लाह के कारण ही प्रेम करता हो और वह काफिर होना ऐसे ही ना पसन्द करे जब कि अल्लाह ने उसे उस से बचा लिया जैसे कि उसे ना पसन्द हो कि अग्नि (नरक) में डाला जाए।