1997 में सीरिया के एलेप्पो में हुए सम्मलेन में, गिरिजाघरों की विश्व परिषद ने ईस्टर की गणना में सुधार का प्रस्ताव रखा जिसके ज़रिये आधुनिक वैज्ञानिक ज्ञान के प्रयोग से ईस्टर की गणना में विचलन या भ्रम पैदा करने वाली चीज़ों को हटाया जा सकता था इस तरीके में यरूशलेम के मध्याह्न के आधार पर वसंत विषुव और पूर्णिमा के वास्तविक खगोलीय उदाहरण का लेखा-जोखा लिया जाना था, और इसके साथ ही नाईसीया की सभा के अनुसार पूर्णिमा के बाद वाले रविवार को ईस्टर की स्थिति होने की बात का भी अनुसरण किया जाना था.
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1997 में सीरिया के एलेप्पो में हुए सम्मलेन में, गिरिजाघरों की विश्व परिषद ने ईस्टर की गणना में सुधार का प्रस्ताव रखा जिसके ज़रिये आधुनिक वैज्ञानिक ज्ञान के प्रयोग से ईस्टर की गणना में विचलन या भ्रम पैदा करने वाली चीज़ों को हटाया जा सकता था इस तरीके में यरूशलेम के मध्याह्न के आधार पर वसंत विषुव और पूर्णिमा के वास्तविक खगोलीय उदाहरण का लेखा-जोखा लिया जाना था, और इसके साथ ही नाईसीया की सभा के अनुसार पूर्णिमा के बाद वाले रविवार को ईस्टर की स्थिति होने की बात का भी अनुसरण किया जाना था.