यह समझा जाता है कि प्रारंभिक जीवन में कम हुए जीवाणुज और विषाणुज संक्रमण टीएच १ प्रकार की अनुक्रियाओं से दूर अनियंत्रित टीएच २ अनुक्रियाओं की ओर अग्रसर करते हुए परिपक्व होते प्रतिरक्षीतंत्र का संचालन करते हैं जो प्रत्यूर्जता में वृद्धि की अनुमति देते हैं।
22.
केवल विषाणुज हिपेटाइटिस और यकृत के सूत्रण रोग सिरोसिस के रोगियों के मामलों में ही नहीं बल्कि सुरक्षित रक्ताधान को सुनिश्चित करने और असुरक्षित रक्ताधान के माध्यम से हिपेटाइटिसबी के संक्रमण के फैलाव को नियंत्रित करने या रोकने के लिए प्रदाता के रक्त नमूनों की जाँच करने में भी हिपेटाइटिसबी विषाणुज संक्रमण का निदान अत्यन्त आवश्यक है।
23.
केवल विषाणुज हिपेटाइटिस और यकृत के सूत्रण रोग सिरोसिस के रोगियों के मामलों में ही नहीं बल्कि सुरक्षित रक्ताधान को सुनिश्चित करने और असुरक्षित रक्ताधान के माध्यम से हिपेटाइटिसबी के संक्रमण के फैलाव को नियंत्रित करने या रोकने के लिए प्रदाता के रक्त नमूनों की जाँच करने में भी हिपेटाइटिसबी विषाणुज संक्रमण का निदान अत्यन्त आवश्यक है।
24.
आईसीएमआर के 18 राष् ट्रीय संस्थान क्षयरोग, कुष्ठरोग, हैजा तथा अतिसारीय रोग, एड्स सहित विषाणुज रोग, मलेरिया, कालाजार, रोगवाहक नियंत्रण, पोषण, खाद्य एवं औषध विष विज्ञान, प्रजनन, प्रतिरक्षा, रुधिर विज्ञान, अर्बुद विज्ञान, आयुर्विज्ञान सांख्यिकी आदि जैसे स्वास् थ् य के विशिष्ट विषयों पर अनुसंधान करते हैं।
25.
हालाँकि लोग प्रायः किसी भी प्रकार की हल्की बीमारी जिसके फ़्लू की तरह के लक्षण होते हैं, (जैसे कि सामान्य सर्दी-जुकाम या एक आमाशय विषाणु) का वर्णन करने के लिए “फ़्लू ” शब्द का प्रयोग करते हैं, फिरभी फ़्लू विशिष्ट लक्षणों वाला एक अलग विषाणुज रोग है, और यह साल के एक विशेष समय-देर शरद ऋतु और शीत ऋतु में होने की ओर प्रवृत्त होता है।