कृत्रिम वीर्यसेचन कराने का कार्य एक ऐसे प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा, जो कि प्रजनन की त्रुटियों को पहचानता और उनका उपचार करता हो, किया जाता है।
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कृत्रिम वीर्यसेचन से प्रत्येक पशुपालन को साँड़ रखने की आवश्यकता नहीं होती और इस प्रकार वह साँड़ रखने की कठिनाई और खर्चे से बच जाता है।
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कृत्रिम वीर्यसेचन से प्रत्येक पशुपालन को साँड़ रखने की आवश्यकता नहीं होती और इस प्रकार वह साँड़ रखने की कठिनाई और खर्चे से बच जाता है।
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इससे कृत्रिम वीर्यसेचन की महत्ता प्रमाणित हुई और इसका प्रयोग बढ़ने लगा तथा अन्य पशुओं, यथा-भेड़, गाय, और कुत्ते आदि में भी कृत्रिम वीर्यसेचन किया जाने लगा।
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इससे कृत्रिम वीर्यसेचन की महत्ता प्रमाणित हुई और इसका प्रयोग बढ़ने लगा तथा अन्य पशुओं, यथा-भेड़, गाय, और कुत्ते आदि में भी कृत्रिम वीर्यसेचन किया जाने लगा।
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कृत्रिम वीर्यसेचन (Artificial Insemination), 'कृत्रिम प्रजनन' अथवा 'कृत्रिम गर्भाधान' का तात्पर्य मादा पशु को स्वाभाविक रूप से गर्भित करने के स्थान पर यंत्र या पिचकारी द्वारा गर्भित करना है।
27.
कृत्रिम वीर्यसेचन के लिए नर को किसी कठपुतली (dummy) मादा के साथ मैथुन कराकर, या नर के लिंग का घर्षण कर, वीर्य को स्खलित कराकर इकट्ठा कर लिया जाता है।
28.
यदि तत्काल कृत्रिम वीर्यसेचन न किया जा सके तो वीर्य को स्वच्छ हतजीवाणु काचकूपी, या परखनली में सुरक्षित बंद करके, ठंडे में, १.३ से २.५ सें. पर रखा जा सकता है।