10 की उम्र में पिता की छाया से वंचित हो गई यह वीर बाला चंद्रपुर के रूढि़ग्रस्त सिदूर गांव में विधवा मां के साथ अभावग्रस्त जिंदगी बिता रही थी कि पिता के एक पुराने परिचित की कुदृष्टि उसपर पड़ी।
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शीलाजी ने सिर्फ रिपोर्ट में हेराफेरी करनेवाली पुलिस को ही नहीं धमकाया, बल्कि एक युवा नेता की तरह वह भीड़ में घुस गईं, उस वीर बाला की याद में मोमबत्ती जलाने के लिए! अब बताइए, कौन युवा है, कौन नेता है?
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‘ ज्योति-दामिनी को याद करते हुए ‘ (दिल्ली में 16 दिसम्बर को हुए सामूहिक बलात्कार की शिकार उस वीर बाला पर लिखी कविता) को याद करते हुए देवी प्रसाद जी ने कहा कि कई अर्थों में स्त्री का जीवन दूसरों के लिए खत्म होता है.