आदिवासियों ने इधर उधर जाने और अपना सामान ढाने के लिए जब नदी नाले पार करने के आरंभिक प्रयास किए होंगे तब उन्हें लकड़ी या हलके पदार्थों की कुछ मात्रा बाँधकर, या फिर किसी वृक्ष का तना कोलकर तथा उसे पानी में तैराकर, अपने उद्देश्य में सफलता मिली होगी।
22.
वह अशोक के दूसरी ओर बैठे हुए दामू की ओर देखती और न जाने क्यों उसका हृदय उमड़ आता, उसमें खलबली-सी मच जाती, उसकी आँखों को धुँधला-सा कुहरा-सा दीखने लगता और उन दोनों के बीच में खड़ा वह अशोक वृक्ष का तना उसकी दृष्टि में काँप-सा उठता...
23.
ऋषि, महर्षियों की मेहनत से तैयार किया गया इस वृक्ष का तना इतना मजबूत है कि सैकडों वर्षों से विभिन् न ज् योतिषियों के द्वारा जितनी भी विचारधाराएं आयी, सबको थामे रखने के काबिल बना रहा और सभी टहनियां तरह तरह के फल फूल और पत् ते देकर इस एक वृक्ष को विविधता से परिपूर्ण बनाता रहा।
24.
उस दिन से देवदत्त जलपाद के पास रहता हुआ उसी की भांति विद्युतप्रभा की आराधना करने लगा | कई दिन की कठिन साधना के बाद आखिर एक रात उस वट वृक्ष का तना फटा और एक दिव्य स्त्री तने से प्रकट हुई | उस दिव्य स्त्री ने देवदत्त से कहा-“ युवक! मेरी स्वामिनी तुम्हारी आराधना से प्रसन्न हैं | उन्होंने तुम्हें दर्शन देने का निर्णय किया है | कृपया मेरे साथ चलो | ”