| 21. | इसे वैकुण्ठ चौदस भी कहते हैं.
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| 22. | वैकुण्ठ चतुर्दशी कथा का एक वर्णन इस प्रकार है-
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| 23. | पर्वत और नारद जान लेकर वैकुण्ठ की ओर भागे।
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| 24. | मथुरा वैकुण्ठ से भी अधिक श्रेस्ठः राजेन्द्र दास महाराज
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| 25. | परमात्मा हमें ये वैकुण्ठ सबको बाँटने के अवसर दे।
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| 26. | और यह अर्मान मन मे लिये वैकुण्ठ को सिधारे।
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| 27. | इसके बाद भृगु मुनि वैकुण्ठ लोक गए।
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| 28. | इसलिये उन्हे वैकुण्ठ के दर्शन कराये हैं
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| 29. | और यह अर्मान मन मे लिये वैकुण्ठ को सिधारे।
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| 30. | दोनों उसमें बैठ के वैकुण्ठ की ओर चल दिए।
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