हालांकि चिट्ठाकारी की अपनी जो खास प्रकृति है वह ब्लॉग पर लिखी जाने वाली प्रविष्टियों में एक किस्म की व्यक्तिपरकता, अनौपचारिकता और तात्कालिकता को जरूरी बना देती है, इसलिए ज्यादातर चिट्ठाकार उसी अंदाज में रोजाना के नियमित पाठकों के लिए लिखने हेतु प्रेरित होते हैं और ब्लॉग एग्रीगेटर एवं फीड रीडर के माध्यम से अपने नियमित पाठकों तक पहुँचकर उनकी टिप्पणियों के बैरोमीटर से अपने लेखन की लोकप्रियता की पैमाइश करते हैं।
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इस सम्बन्ध में मेरा यह व्यक्तिगत मत है कि चूँकि प्रत्येक प्राधिकारी को हर काम में अपने व्यक्तिगत अभिमत, अपनी सोच, अपनी चाहत और अपनी मनमर्जी को अधिरोपित करने का इतना अधिक अख्तियार है कि कई बार तमाम नियमों और कानूनों के बाद भी अन्तोगत्वा वस्तुनिष्ठता के स्थान पर व्यक्तिपरकता आ ही जाती है और बहुधा अंतिम निर्णय सम्बंधित अधिकारी के विवेक पर आधारित हो जाने की पूरी संभावना रहती है.