भाषा-अधिगम सिद्धांतों के साथ अधिगम अंतरण के सिद्धांतों का भी बड़ा महत्त्व है जो व्यतिरेकी भाषाविज्ञान के लिए मनोवैज्ञानिक आधार प्रस्तुत करते हैं ।
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भाषा-अधिगम सिद्धांतों के साथ अधिगम अंतरण के सिद्धांतों का भी बड़ा महत्त्व है जो व्यतिरेकी भाषाविज्ञान के लिए मनोवैज्ञानिक आधार प्रस्तुत करते हैं ।
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ऊपर हमने देखा है कि व्यतिरेकी भाषाविज्ञान संकर या मिश्र भाषावैज्ञानिक उद्यम है जिसका संबंध भाषाविज्ञान के अतिरिक्त समाजविज्ञान एवं मनोविज्ञान से भी है ।
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ऊपर हमने देखा है कि व्यतिरेकी भाषाविज्ञान संकर या मिश्र भाषावैज्ञानिक उद्यम है जिसका संबंध भाषाविज्ञान के अतिरिक्त समाजविज्ञान एवं मनोविज्ञान से भी है ।
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व्यतिरेकी भाषाविज्ञान का उदय द्वितीय विश्वयुद्ध के समय सैनिकों को उन देशों की भाषाएँ, जहाँ वे लड़ने जा रहे थे, सिखाने के उद्देश्य से हुआ।
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व्यतिरेकी भाषाविज्ञान का उदय द्वितीय विश्वयुद्ध के समय सैनिकों को उन देशों की भाषाएँ, जहाँ वे लड़ने जा रहे थे, सिखाने के उद्देश्य से हुआ।
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व्यतिरेकी भाषाविज्ञान (Contrastive linguistics) भाषा-शिक्षण का व्यवहारिक तरीका है जो किसी भाषा-युग्म के समानताओं एवं अन्तरों का वर्णन करके भाषा को सुगम बनाने पर जोर देता है।
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भाषा-अधिगम और व्यतिरेकी भाषाविज्ञान ऊपर हमने देखा है कि व्यतिरेकी भाषाविज्ञान संकर या मिश्र भाषावैज्ञा-निक उद्यम है जिसका संबंध भाषाविज्ञान के अतिरिक्त समाजविज्ञान एवं मनोविज्ञान से भी है.
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भाषा-अधिगम और व्यतिरेकी भाषाविज्ञान ऊपर हमने देखा है कि व्यतिरेकी भाषाविज्ञान संकर या मिश्र भाषावैज्ञा-निक उद्यम है जिसका संबंध भाषाविज्ञान के अतिरिक्त समाजविज्ञान एवं मनोविज्ञान से भी है.
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चूँकि व्यतिरेकी विश्लेषण अन्य भाषा शिक्षण के साथ जुड़ा हुआ है और भाषाशिक्षण अधिगम-प्रक्रिया पर निर्भर है अत: व्यतिरेकी भाषाविज्ञान मनोवैज्ञानिक आधार/या घटक की अपेक्षा रखता है ।