निःसंदेह यह कटु सत्य है कि एक संगीत साधक को समाज की कठोरताओं का सामना करते हुए अर्थोपार्जन के प्रश्न को स्मृति में रखना पड़ता है परन्तु इस क्रिया में अर्थात् अपने कला कौशल का व्यवसाय करते हुए कला के आदर्शों व गरिमा के स्तर को सदैव दृष्टिगत रखना चाहिए।