हिन्दी में ज्ञान-विज्ञान के प्रचार-प्रसार तथा विश्वविद्यालय स्तर पर शिक्षण माध्यम के रूप में हिन्दी के विकास के लिए, राष्ट्रपति के आदेश से भारत सरकार ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन सन १ ९ ६ १ में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शव्दावली आयोग की स्थापना की.
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इस कार्यक्रम में सभी के लिए कुछ छूट प्रदान की गई है जैसे 18 साल से अधिक के वे अभ्यर्थी जो अपने शिक्षण माध्यम के लिए स्वीकार भाषा (हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, तमिल, मराठी और ब्रेल) को पढ़ सकते हैं और लिख सकते हैं वे इसमें शामिल हो सकते हैं।
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यह दल अपने घोषणापत्र में ही अपने हिंदी समर्थक नीतियों का खुलासा करेगा, जैसे सभी शिक्षण संस्थाओं में, आईआईटी-आईआईएम से लेकर नर्सरी-किंटरगार्टन तक, शिक्षण माध्यम हिंदी करना, सरकारी कामकाज हिंदी में करना, न्यायालय का कामकाज हिंदी में करना, गांव-गांव में पुस्तकालयों का नेटवर्क बिछाना, पांच साल के अंदर सर्वसाक्षरता लाना, इत्यादि।
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हिंदी में कोड लिखने के लिए हिंदी में किसी कंप्यूटर विशारद को कोई प्रोग्रामन भाषा लिखनी होगी, पर वह तो तभी हो सकेगा जब हमारे आईआईटियों में शिक्षण माध्यम हिंदी हो जाएगा और वहां पढ़-पढ़ा रहे लोग हिंदी में सोचने की क्षमता प्राप्त कर लेंगे और इस ओर प्रवृत्त होंगे।
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यह दल अपने घोषणापत्र में ही अपने हिंदी समर्थक नीतियों का खुलासा करेगा, जैसे सभी शिक्षण संस्थाओं में, आईआईटी-आईआईएम से लेकर नर्सरी-किंटरगार्टन तक, शिक्षण माध्यम हिंदी करना, सरकारी कामकाज हिंदी में करना, न्यायालय का कामकाज हिंदी में करना, गांव-गांव में पुस्तकालयों का नेटवर्क बिछाना, पांच साल के अंदर सर्वसाक्षरता लाना, इत्यादि।
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दूरस्थ शिक्षण माध्यम से प्रचारित उच्च तथा तकनीकी शिक्षा के संचालन एवं गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए ' डिस्टेन्स एजुकेशन कौंसिल ' नामक संस्था का गठन भारत सरकार ने किया है जो कि देश व्यापी दूर शिक्षा माध्यम शिक्षण संस्थाओं द्वारा प्रदत्त उपाधियों के लिए मानक नियमों को लागू करती है ।
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मेरा सुझाव है कि आरक्षण की व्यवस्था को हटाने के साथ-साथ अंग्रेजी माध्यम से शिक्षण देने की व्यवस्था को भी प्राथमिक शिक्षण से लेकर उच्च शिक्षण तक सभी जगह से हटाया जाए, जिसका अर्थ होगा हमारे नर्सरी-किंटरगार्टन से लेकर आईआईटी, आईआईएम, आदि अभिजातीय शिक्षण संस्थानों का शिक्षण माध्यम हिंदी कर देना।
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यह दल अपने घोषणापत्र में ही अपने हिंदी समर्थक नीतियों का खुलासा करेगा, जैसे सभी शिक्षण संस्थाओं में, आईआईटी-आईआईएम से लेकर नर्सरी-किंटरगार्टन तक, शिक्षण माध्यम हिंदी करना, सरकारी कामकाज हिंदी में करना, न्यायालय का कामकाज हिंदी में करना, गांव-गांव में पुस्तकालयों का नेटवर्क बिछाना, पांच साल के अंदर सर्वसाक्षरता लाना, इत्यादि।
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यह दल अपने घोषणापत्र में ही अपने हिंदी समर्थक नीतियों का खुलासा करेगा, जैसे सभी शिक्षण संस्थाओं में, आईआईटी-आईआईएम से लेकर नर्सरी-किंटरगार्टन तक, शिक्षण माध्यम हिंदी करना, सरकारी कामकाज हिंदी में करना, न्यायालय का कामकाज हिंदी में करना, गांव-गांव में पुस्तकालयों का नेटवर्क बिछाना, पांच साल के अंदर सर्वसाक्षरता लाना, इत्यादि।यदि यह दल विधान सभा-लोक सभा में दस-पांच सीटें भी जीत ले, तो आजकल के कोलिशन सरकारों में वह बहुत कुछ इन्फ्लुएन्स दिखा सकता है।
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हिन्दी में ज्ञान-विज्ञान के प्रचार-प्रसार तथा विश्वविद्यालय स्तर पर शिक्षण माध्यम के रूप में हिन्दी के विकास के लिए, राष्ट्रपति के आदेश से भारत सरकार ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन सन १९६१ में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शव्दावली आयोग की स्थापना की.अब तक आयोग ने विभिन्न विषयों की तकनीकी शब्दावली का निर्माण,अखिल भारतीय शब्दावली,परिभाषा कोशों,चयनिकाओं,पाठमालायों,तथा विश्वविद्यालय स्तर की हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषायों की पुस्तकों के निर्माण के विविध प्रयास किए हैं.