उन्हें उनके मतलब की पूरी और सही जानकारियां देना भी हमारा काम है और इसके तहत शिक्षा-जगत से जुड़ी आवश्यक सूचनाओं से लेकर कैरियर, व्यवसाय और प्रोद्योगिकी की नवीनतम जानकारियां उपलब्ध कराने का सिलसिला निरंतर जारी रखा गया.
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उन्हें उनके मतलब की पूरी और सही जानकारियां देना भी हमारा काम है और इसके तहत शिक्षा-जगत से जुड़ी आवश्यक सूचनाओं से लेकर कैरियर, व्यवसाय और प्रोद्योगिकी की नवीनतम जानकारियां उपलब्ध कराने का सिलसिला निरंतर जारी रखा गया.
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श्रद्धेय मास्टर साहब अपने कृतित्व व उपलब्धियों के माध्यम से सूक्ष्म रूप में आज भी विद्यमान हैं, परंतु उनका देहावसान निश्चित रूप से न केवल मेरे लिये, वरन समाज, शिक्षा-जगत, एवं देश के लिये एक अपूरणीय क्षति थी।
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पत्रकार शंकर शरण की मानें तो ‘‘ हमारे देश के प्रभावशाली प्रोफेसर और बुद्धिजीवियों को जो भी नया विषय या मुहावरा पश्चिमी पत्र-पत्रिकाओं या शिक्षा-जगत में दीख पड़ता है, उसे वे भारत पर ‘ लागू करने ' में लग जाते हैं।
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समय-समय पर इंगलैंड-अमरीका के शिक्षा-संस्थानों या शिक्षा-जगत से जो भी साहित्यिक और वैचारिक वायरस (स्वाइन-फ्लू के वायरस की तरह) चलें उन्होंने यहां के बौद्धिक जगत को इस प्रकार जकड़ लिया कि अब उससे मुक्ति की संभावना भी नहीं दिखाई दे रही है।
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अंग्रेजी के शिक्षा-जगत में पूर्ण वर्चस्व के कारण भारत का बहुसंख्य तबका शिक्षा की अच्छाईयों से पूर्ण-रूपेन कट गया यहाँ तक कि इस बहुसंख्या को शिक्षा तक पराई प्रतीत होती है, ऐसे विज्ञान को कौन पूछे जब शिक्षा ही पराई हो,वैज्ञानिकता का भाव तो शिक्षा के बाद ही पैदा होता है!
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इसी गाँव में आज से 90 वर्ष पूर्व वहां के (खैरबनी के) घाटवाल (जमींदार) ठाकुर वसंत कुमार झा जी के घर एक ' रत्न ' ने जन्म लिया जो आगे चलकर साहित्य एवं शिक्षा-जगत में आचार्य ज्योतीन्द्र प्रसाद झा ' पंकज ' के नाम से विख्यात हुआ।
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अब आप सोच सकते हैं कि जहाँ नितिश सरकार के कार्यकाल में विकास की चर्चा है वहाँ वास्तव में यह राज्य विकास की ओर है या शिक्षा-जगत में इस प्रकार के कदाचार से पतन की ओर है?........................ और आप सोचें कि शिक्षा-जगत में इस प्रकार के कदाचार से क्या बिहार या हमारा देश कभी विकास कर पाएगा?
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अब आप सोच सकते हैं कि जहाँ नितिश सरकार के कार्यकाल में विकास की चर्चा है वहाँ वास्तव में यह राज्य विकास की ओर है या शिक्षा-जगत में इस प्रकार के कदाचार से पतन की ओर है?........................ और आप सोचें कि शिक्षा-जगत में इस प्रकार के कदाचार से क्या बिहार या हमारा देश कभी विकास कर पाएगा?