हमारे यहाँ तीन चीजेँ कही गयीँ हैँ गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैँ-राम जी को, आदेश दे रहे हैँ वसिष्ठ जी “ कर्म करो! ” लोकमत यानि कि जो लोक का मत है, उसके अनुसार काम करो-साधु का मतलब, साधु, सन्यासी, वैरागी नहीँ-साधु का मतलब है-शिष्टजन-समाज-जो सँस्कृत, अच्छे लोग हैँ हमारे समाज का जो नेतृत्व कर रहे हैँ, उन लोगोँ का जो मत है, वैसा करो.