उन जो अपने खुद के स्वच्छ ऊर्जा और शून्य बिंदु ऊर्जा प्रणालियों को विकसित कर रहे हैं, या उन लोगों के लिए जो इस पदोन्नति के साथ शामिल होना चाहते हैं के लिए, कृपया पर जाएँ:
22.
किसी काले डैश की घनी काली पट्टी ही आँखों में बँध गयी, किसी खड़ी पाई की सूली पर मैं टाँग दिया गया, किसी शून्य बिंदु के अँधियारे खड्डे में गिरा दिया गया मैं अचेतन स्थिति में!
23.
विधि की जगह है कि केवल कुछ महीने कुछ है कि सच है कि लोगों में परिवर्तन और नवीनता कर सकते हैं विकसित करने के लिए काम, क्या वास्तव में इस संबंध है नहीं है कि शून्य बिंदु क्षेत्र, या
24.
और शून्य बिंदु 544 ई. प ू. है, इसके लिखित प्रमाण श्रीलंका में पहली शती ई.प ू. प्रयोग के प्रमाण विद्धमान है और सम्राट अशोक द्वारा स्थापित रघुनाथ का शिलालेख में गणित और ज्योतिर्विज्ञान के प्रमाणित ठोस प्रमाण है।
25.
मध्य 1930 में शून्य बिंदु की अवधारणा को सिद्धांतिक रुप से बताया गया | यह पाया गया कि किसी भी तापमान के अभाव में जैसे बाह्य अंतरिक्ष में असीम ऊर्जा के स्रोत है जो असीम रुप से छोटे कणों से बना है जिन्हे
26.
यह अनुमान है कि 2012 के अंत तक, चुंबकत्व शून्य बिंदु तक पहुँच गया है और गूंज पृथ्वी आधारित, या आवृत्ति शुमान बढ़ी है, 7,8 करने के लिए 13 हर्ट्ज महत्वपूर्ण क्षण है जब ऐसा होता है, हम एक आयामी बदलाव है कि मनुष्य के रूप में अपनी सीमाओं को खत्म हो जाएगा रहने का अवसर होगा.
27.
डॉ. अमर्त्य सेन के प्रमाणों को ठोस प्रमाण मानते है तो यह भी स्पष्ट होता है की आर्य भट्ट जिन्होंने कलिसवंत को चलाया और इस कलिसवंत का शून्य बिंदु 78 ईसवी शंक सवंत का शून्य बिंदु है और यह शून्य बिंदु बौद्ध सम्राट कनिष्क का है, क्योंकि शंक सवंत बौद्ध सम्राट कनिष्क ने सुरु किया था।
28.
डॉ. अमर्त्य सेन के प्रमाणों को ठोस प्रमाण मानते है तो यह भी स्पष्ट होता है की आर्य भट्ट जिन्होंने कलिसवंत को चलाया और इस कलिसवंत का शून्य बिंदु 78 ईसवी शंक सवंत का शून्य बिंदु है और यह शून्य बिंदु बौद्ध सम्राट कनिष्क का है, क्योंकि शंक सवंत बौद्ध सम्राट कनिष्क ने सुरु किया था।
29.
डॉ. अमर्त्य सेन के प्रमाणों को ठोस प्रमाण मानते है तो यह भी स्पष्ट होता है की आर्य भट्ट जिन्होंने कलिसवंत को चलाया और इस कलिसवंत का शून्य बिंदु 78 ईसवी शंक सवंत का शून्य बिंदु है और यह शून्य बिंदु बौद्ध सम्राट कनिष्क का है, क्योंकि शंक सवंत बौद्ध सम्राट कनिष्क ने सुरु किया था।
30.
हर्षवर्धन के इतिहासिक सत्य को काल्पनिक रंग देने के लिए वर्धन हटाकर हर्ष रखा गया और हर्षवर्धन के सवंत को विक्रमसवंत सवंत का नाम देकर इसका शून्य बिंदु ईसा पूर्व 57 दिया गया ताकि हर्षवर्धन की एतिहासिक सच्चाई काल्पनिक विक्रमादित्य के नाम से जनमानस में मनमानस में ठुसी जाए! इस प्रकार से हर्षवर्धन के सवंत को शून्य बिंदु ईसा पूर्व 57 देकर विक्रमसवंत को हर्षवर्धन के कार्यकाल से पीछे धकेला गया इसलिए इस विक्रमसवंत के शून्य बिंदु ईसा पूर्व 57 का कोई ठोस प्रमाण नहीं है।