चम्बल, सिन्ध पहुज, बेतवा, केन, धसान, पयस्वनी आदि उद्गम स्रोत होते हुए भी विन्ध्य शैल समूह को जलविहीन माना ० जाता है।
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चित्रकूट जनपद के पाठा क्षेत्र में गत सर्वेक्षण से ज्ञात हुआ कि १५० से लेकर २०० मीटर बालू की तह के नीचे चूने के शैल समूह में अटूट भौम जल का भण्डार है।
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चित्रकूट जनपद के पाठा क्षेत्र में गत सर्वेक्षण से ज्ञात हुआ कि १५० से लेकर २०० मीटर बालू की तह के नीचे चूने के शैल समूह में अटूट भौम जल का भण्डार है।
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इसके बाद जो शैल समूह बने वे यूरोप, दक्षिण-पूर्वी इंग्लैण्ड, उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी भाग, एशिया माइनर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरी बर्मा और अफ्रीका के पूर्वी तट पर मिलते हैं।
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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का यह दृष्टिकोण समझ से परे है कि रामसेतु / एडम ब्रिज एक बालू-प्रवाल शैल समूह है, जिसे ऐतिहासिक, पुरातात्विक या कलात्मक अभिरुचि अथवा महत्व का नहीं कहा जा सकता।
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चित्रकूट जनपद के पाठा क्षेत्र में गत सर्वेक्षण से ज्ञात हुआ कि १ ५ ० से लेकर २ ०० मीटर बालू की तह के नीचे चूने के शैल समूह में अटूट भौम जल का भण्डार है।